नागपुर रेलवे स्टेशन पर रोजाना 5 हजार से अधिक यात्रियों का आना-जाना होता है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है। सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है, लेकिन दिख रही है सिर्फ लापरवाही। रेल यात्रियों को आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट साथ रखना अनिवार्य है। राज्य शासन का आदेश है कि रेलवे स्टेशन पर उतरने वाले सभी यात्रियों की आरटीपीसीआर रिपोर्ट की जांच की जाए, मगर नागपुर रेलवे स्टेशन पर ऐसा नहीं हो रहा है। रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार पर तैनात एक अधिकारी ने अंदर की बात बताते हुए कहा कि कहा कि वरिष्ठों के आदेश के बाद रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट की जांच जांच बंद कर दी गई है। दूसरी ओर, नागपुर रेलवे स्टेशन पर ही मनपा की टीम आरटी-पीसीआर जांच के लिए नमूने एकत्र कर रही है, मगर यह टीम सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक ही मौजूद रहती है। यहां तैनात डॉ. अतिक खान ने बताया कि रेलवे अधिकारियों द्वारा जिन यात्रियों को उन तक पहुंचाया जा रहा है, उनका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जा रहा है। टीम के जाने के बाद आरटी-पीसीआर जांच के लिए नमूने इकट्ठा नहीं हो पा रहे। ऐसे में शहर में कोराना संक्रमितों के दाखिल होने का खतरा बढ़ गया है। रोजाना हजारों यात्री बगैर आरटी-पीसीआर रिपोर्ट के शहर में दाखिल हो रहे हैं। यह लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। हालात यही रहे, तो कोरोना की तीसरी लहर कोहराम मचा सकती है।
कोरोना की दो लहरों का नतीजा हम भुगत चुके हैं। तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है। इसमें विशेष रूप से बच्चों के प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। केरल में संक्रमण के लगातार सामने आ रहे मामलों में तेजी से उछाल आया है। स्थिति की गंभीरता को भांप केंद्र ने तत्काल उच्च स्तरीय टीम को वहां रवाना किया है। यह टीम अपनी पूरी रिपोर्ट राज्य और केंद्र सरकार दोनों के साथ साझा करेगी। केरल में बढ़ते कोरोना संक्रमण का असर अन्य राज्यों में भी मामूली रूप से दिखाई पड़ रहा है। महाराष्ट्र में उतार-चढ़ाव जारी है। उत्तर प्रदेश और मणिपुर सहित कुछ राज्यों में भी नए मामले बढ़े हैं। स्वास्थ्य डाटा विशेषज्ञ प्रो. रिजो एम जॉन के अनुसार हालात ऐसे हैं कि पिछले 51 दिन से देश में औसतन 40 हजार से अधिक दैनिक मामले सामने आ रहे हैं। इससे साफ पता चलता है कि दूसरी लहर से बाहर आने के बाद भी देश में रोजाना संक्रमित मरीजों की संख्या एक पैमाने पर आकर रुक सी गई है, जिसमें कभी भी उछाल आ सकती है।
बीते मार्च, अप्रैल और मई में कोरोना महामारी की दूसरी लहर आई थी। 10 मई को इसका पीक गुजरने के बाद नई लहर को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। आईसीएमआर का अनुमान था कि अगस्त में तीसरी लहर दिखाई दे सकती है, जबकि केंद्र सरकार के ही सुपर मॉडल के अनुसार तीसरी लहर अक्टूबर से नवंबर के बीच देखने को मिल सकती है। इसलिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सतर्क रहने पर लगातार जोर दे रहे हैं। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन लापरवाही बरतने वाले मान नहीं रहे हैं। कोरोना नियंत्रण के लिए जारी की गई गाइड लाइन का रेलवे स्टेशन परिसर में जिस तरह से खुलेआम उल्लंघन हो रहा है, उससे ही इन आशंकाओं को बल मिलता है। यात्री बगैर मास्क के नजर आते हैं। सामाजिक दूरी के नियम का पालन भी नहीं हो रहा। कई यात्री स्टेशन परिसर में झुंड के रूप में दिखाई देते हैं। इन लोगों को नियम का पालन करने की समझाइश देने वाले भी कहीं नजर नहीं आते। इसका परिणाम घातक हो सकता है।
साफ है कि भारतीय रेलवे के कोरोना नियमों का यहां साफ उल्लंघन हो रहा है। रेलवे स्टेशनों पर लोगों के मास्क पहनने को लेकर खास गाइडलाइंस जारी की गई हैं। रेलवे परिसर में या फिर ट्रेन के अंदर मास्क न पहनने पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है, जो 500 रुपये तक हो सकता है। जुर्माना का प्रावधान सिर्फ मास्क को लेकर नहीं है, बल्कि यहां-वहां थूकने या गंदगी फैलाने को लेकर भी है। अगर आप रेलवे स्टेशन या ट्रेन के अंदर यहां-वहां थूकते हैं या फिर गंदगी फैलाते हैं तो भी आप पर 500 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। रेलवे का कहना है कि बिना मास्क के स्टेशन परिसर या ट्रेन में घूमना और यहां-वहां थूकने से स्टेशन परिसर और ट्रेन में गंदगी रहेगी। गंदगी की वजह से लोगों को तमाम तरह की बीमारियां हो सकती हैं और अभी कोरोना काल में तो साफ-सफाई न रखने की वजह से कोरोना वायरस भी फैल सकता है, पर सुनने वाला कोई नहीं और उन्हें गलतियों पर समझाने वाला भी नहीं। इसलिए कोरोना के तीसरी लहर को शहर में आने से रोकना सहज नहीं।
कई प्रदेशों में कोरोना के मामलों में तेजी दर्ज की जा रही है। ऐसे में ट्रेनों से आने-जाने वालों पर सख्ती बरतना ही एकमात्र उपाय है। नियमों में ढील देने का मतलब कोरोना को आमंत्रण देने जैसा ही है। बेहतर होगा कि यात्रियों के लिए बनाए गए नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए। लोग चोर-दरवाजे से भागने की कोशिश न करें, शहर की सेहत पर इसका असर पड़ सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें