मॉनसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा में उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया, जब तृणमूल कांग्रेस ने हाल ही में मोदी कैबिनेट में शामिल किए गए पश्चिम बंगाल के एक सांसद को सोमवार को कथित तौर पर 'बांग्लादेशी' बताया। इस बारे में सरकार से स्पष्टीकरण की भी मांग की गई। इस मुद्दे पर हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में एक नोटिस दिया है। खड़गे ने कहा वह बांग्लादेशी हैं या नहीं, यह जानने को मुझे पूरा अधिकार है।
दो बार के स्थगन के बाद दो बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मंत्रिपरिषद के जिन सहयोगियों की सूची आज सदन के पटल पर रखी है, उनमें एक राज्यमंत्री कथित तौर पर बांग्लादेशी हैं। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया। सदन के नेता पीयूष गोयल ने विपक्षी सदस्यों के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया और इसमें सच्चाई नहीं होने का दावा करते हुए उपसभापति हरिवंश से इसे सदन की कार्यवाही से बाहर निकालने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा जिस प्रकार की बेबुनियाद बातें सदन में रखने की कोशिश की जा रही है, उसकी हम घोर निंदा करते हैं। इसमें सत्यता नहीं है। उन्होंने विपक्षी सदस्यों पर समाज के एक वर्ग विशेष को अपमानित करने का आरोप लगाया और उपसभापति से विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए विषय को कार्यवाही में शामिल नहीं करने का अनुरोध किया। इसके जवाब में उपसभापति हरिवंश ने कहा इसका परीक्षण किया जाएगा।
राज्यसभा सदस्य और असम प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने नवनियुक्त केंद्रीय गृह राज्यमंत्री निशीथ प्रमाणिक के कथित तौर पर बांग्लादेशी होने के आरोपों की जांच कराने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की। हालांकि, प्रमाणिक के करीबी सूत्रों ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि मंत्री का जन्म, पालन-पोषण और शिक्षा-दीक्षा भारत में ही हुई है। मंत्री का जन्म स्थान हरिनाथपुर है, जो बांग्लादेश के गायबंधा जिले के पलासबाड़ी पुलिस थाने के अंतर्गत आता है। वे कंप्यूटर की पढ़ाई करने के लिए बंगाल आए थे।
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