बुधवार, 21 जुलाई 2021

‘ऑक्सीजन’पर गर्मायी सियासत



कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले में केन्द्र सरकार के जवाब पर सियासत गर्मा रही है। राज्यसभा में यह सवाल पूछा गया था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन की कमी से कितने लोगों की मौत हुई है, इसके जवाब में कहा गया था कि राज्यों ने केन्द्र सरकार ऐसा कोई आंकड़ा नहीं दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के जवाब से विपक्ष भड़क गया है और अब संसद में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने की तैयारी तेज हो गई है। 

मानसून सत्र में विपक्ष सरकार से कोरोना को लेकर कई सवाल पूछ रहा है। इनमें कोरोना के आंकड़े छिपाने के आरोपों से लेकर ऑक्सीजन की कमी जैसे सवाल भी शामिल हैं। इसी क्रम में केसी वेणुगोपाल ने ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों और ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर सवाल पूछा था। इसके लिखित जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार ने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का मसला है। राज्य केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को केस और मौतों के बारे में जानकारी देते थे। ऐसे ही एक दूसरे सवाल का जवाब देते हुए भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि आंकड़े छिपाने का कोई कारण ही नहीं है।  

सरकार के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर आम लोगों से लेकर नेताओं तक की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ''सिर्फ़ ऑक्सीजन की ही कमी नहीं थी। संवेदनशीलता व सत्य की भारी कमी-तब भी थी, आज भी है।         

मनोज कुमार झा ने राज्यसभा में कहा, ''बड़े-बड़े पन्ने छपवाओ। 4 पन्ने रंग दो। थैंक यू फलाना…। अरे, ज़िंदगी में नहीं तो कम से कम मौत में ही सम्मान दे दीजिए। पूरे सदन को उन लोगों से माफ़ी मांगनी चाहिए, जिनकी लाशें गंगा में बह रही थीं।       

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस संकट काल में सरकार ने देश को अनाथ छोड़ दिया था। सरकार को पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है। आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को लेकर संसद में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करेगी। 

शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी इस बयान का विरोध किया है। उन्होंने कहा "सरकार के इस जवाब को सुनकर उन पर क्या गुजरी होगी जिन्होंने अपनों को खोया है। सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए। सरकार झूठ बोल रही है।


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