जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 31 जुलाई को दिल्ली में होने वाली है। यह बैठक इस बार खास है, क्योंकि पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव इस दौरान किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि पिछले साल 27 दिसंबर को जेडीयू के अध्यक्ष चुने गए आरसीपी सिंह पर अध्यक्ष पद को छोड़ने के लिए पार्टी के भीतर आवाज उठाई जा रही है। ‘एक आदमी एक पद' के सिद्धांत पर अमल करने की बात दोहराई जा रही है। आरसीपी सिंह 7 जुलाई को नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल किए गए हैं।
जनता दल यूनाइटेड के अंदर चल रही दबाव की राजनीति रविवार को तब सामने आई, जब आरसीपी सिंह ने बिहार जदयू के पदाधिकारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि वह केंद्रीय मंत्री और पार्टी अध्यक्ष दोनों के रूप में काम करने में सक्षम हैं। लेकिन, अगर पार्टी फैसला करती है, तो मैं निश्चित रूप से एक 'मजबूत सहयोगी' को यह जिम्मेदारी दूंगा।' इस बयान को एक तरह से टॉप लीडरशिप में बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को आगामी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एक नया पार्टी प्रमुख चुनने के लिए पर्याप्त संकेत दिए हैं। वहीं इस साल 14 मार्च को अपनी 8 साल पुरानी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जदयू में विलय करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी के अध्यक्ष के लिए रेस में माना जा रहा है। दरअसल ये कुशवाहा के लिए एक घर वापसी थी, जिन्होंने जनवरी 2013 में नीतीश के साथ राजनीतिक मतभेदों के बाद जदयू छोड़ दिया था और 3 मार्च, 2013 को रालोसपा का गठन किया था।
विलय के फौरन बाद नीतीश ने कुशवाहा को जदयू के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया। इसके बाद कुशवाहा को पार्टी के चुनाव चिह्न पर एमएलसी बनाया गया और राज्य की राजधानी में एक बड़ा बंगला भी आवंटित किया। दूसरी तरफ, जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने बताया कि 'अभी तक, 31 जुलाई की बैठक के एजेंडे को अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं के बैठक में शामिल होने की उम्मीद है।' उपेंद्र कुशवाहा ने कहा चूंकि अभी तक एजेंडा बहुत स्पष्ट नहीं है, इसलिए किसी भी मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।
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