पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के फोन की इजरायली साफ्टवेयर पेगासस के जरिए कथित रूप से जासूसी होने के खुलासे पाकिस्तान भड़क उठा है। पाकिस्तान ने कहा है कि भारत के जासूसी के इस मुद्दे को जरूरी मंचों पर उठाएगा। पाकिस्तान के सूचना प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि उनका देश प्रधानमंत्री इमरान खान के फोन की भारत से हैकिंग के मुद्दे पर और ज्यादा डिटेल की प्रतीक्षा कर रहा है। फोन की हैकिंग का पूरा डिटेल आने पर इसे उचित मंचों पर उठाया जाएगा।
पाकिस्तान के सूचना प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने इससे पहले भी चिंता जताई थी कि भारत पत्रकारों और नेताओं के फोन की हैकिंग कर रहा है। इससे पहले पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों में कहा गया था कि हैक किए जा रहे फोन्स की लिस्ट में एक नंबर इमरान खान का भी है। एक दावे के मुताबिक भारत समेत कई देशों की सरकारों ने 150 से ज्यादा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी कराई है।
भारत के कम से कम एक हजार नंबर सर्विलांस लिस्ट में शामिल थे, जबकि पाकिस्तान के कई सौ नंबर भी इसमें थे। इनमें से एक नंबर ऐसा था जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी करते थे। हालांकि, पोस्ट ने यह साफ नहीं किया है कि इमरान के नंबर को हैक करने की कोशिश सफल रही या नहीं।
भारत में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिस्ट में मिलने से राजनीतिक तूफान और बढ़ गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के 300 नंबर मंत्रियों, विपक्षी नेताओं से लेकर पत्रकारों और वैज्ञानिकों तक के हैं। वैसे, देश में जासूसी कांड का इतिहास नया नहीं है। राजनीति और जासूसी या फोन टैपिंग का रिश्ता बहुत पुराना है। इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर सांसद, उद्योगपति और सिनेमाई जगत के लोगों के नाम पहले भी आ चुके हैं।
फोन टैपिंग और सरकार गिरने की यह कहानी साल 1983 से शुरू होती है। कर्नाटक में रामकृष्ण हेगड़े पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। रामकृष्ण हेगड़े ने पांच साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी अपने पास रखी। साल 1988 में उनके लिए फोन टैपिंग का ऐसा भूत समाने आया, जिसने उनकी कुर्सी छीन ली। इसके धीरे धीरे राजनीति के अर्श से फर्श तक पहुंच गए और वो मुकाम हासिल नहीं कर सके जो कभी हुआ करता था।
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