सोमवार, 19 जुलाई 2021

धरती की ओर बढ़ा खतरा, विशाल ऐस्टरॉइड काफी खतरनाक श्रेणी का


एक विशाल ऐस्टरॉइड तूफानी रफ्तार से धरती की कक्षा ओर आ रहा है। यह आकार में लंदन के बहुत चर्चित बिग बेन से आकार में दोगुना है। यह ऐस्टरॉइड 220 मीटर चौड़ा है और यह 8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती के पास से गुजरेगा। इस ऐस्टरॉइड का नाम '2008 GO20' है। बताया जा रहा है कि आगामी 25 जुलाई को यह विशाल ऐस्टरॉइड धरती की कक्षा के पास से  रात को करीब दो बजे गुजरेगा। जिस कक्षा से यह ऐस्टरॉइड गुजरेगा, उसे अपोलो कहा जाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसे खतरनाक ऐस्टरॉइड की श्रेणी में रखा है। 

हमारी धरती से काफी दूर अंतरिक्ष में कई हलचलें होती रहती हैं और अंतरिक्ष में ही खत्म हो जाती हैं। इसमें एक है स्टेरायड। इन्हें धूमकेतू या पुच्छल तारा भी कहा जाता है। नासा इन दिनों ऐसे ही दो हजार ऐस्टरॉइड पर नजर रखे हुए है, जो धरती के लिए खतरा बन सकते हैं। अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है, तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं।  आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स का नासा ने पता लगाया है, जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी आशंका है।

दरअसल, ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं, लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए। यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं।

हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं।


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