गुरुवार, 22 जुलाई 2021

पाठशाला पर अभी ताला जरूरी

सीरो सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर आईसीएमआर ने छोटे बच्चों के स्कूल खोले जाने की बात कही है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि दो-तीन महीने और इंतजार करना चाहिए, क्योंकि रिपोर्ट में छोटे बच्चे-बड़े बच्चों और अडल्ट में एंटीबॉडी पाए जाने का अंतर सिर्फ 5 से 10 पर्सेंट ही है। 6 से 9 साल के 57.2 पर्सेंट बच्चों में ही एंटीबॉडी मिली है, यानी जिन 40 करोड़ लोगों को अभी भी संक्रमण का खतरा है, उसमें आधे बच्चे हैं, इसलिए थर्ड वेव का इंतजार करें, उसके बाद ही इस तरह की योजना पर अमल करें। 

ऐसे कई सवाल हैं जिनसे आजकल लगभग हर माता-पिता जूझ रहे हैं। कई राज्यों में सरकार ने स्कूल खोलने के आदेश दिए हैं, लेकिन अब अभिभावकों को बच्चों को स्कूल भेजने का फ़ैसला लेना है। बीते साल मार्च में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लगाया गया था और सभी स्कूल बंद कर दिए गए थे। पढ़ाई पर असर न पड़े, इसलिए ऑनलाइन क्लासेज़ के ज़रिए एक नई तरह की व्यवस्था बनी और बच्चों ने पाठ्यक्रम की अपनी पढ़ाई जारी रखी।  

कोरोना वायरस संक्रमण के मामले आना कम ज़रूर हुए हैं, लेकिन पूरी तरह ख़त्म नहीं हुए हैं। ऐसे में बच्चों को सुरक्षित रखने की माता-पिता की चिंता भी बढ़ गई है, क्योंकि तीसरी लहर में बच्चों पर ही ज्यादा असर पड़ने की आशंका व्यक्त की गई है। बच्चे अब तक घर के सुरक्षित माहौल में थे, लेकिन अब उन्हें अन्य बच्चों के बीच भेजना और उन्हें संक्रमण से बचाए रखना अभिभावकों के लिए बड़ी चुनौती है। डॉक्टरों ने कहा कि स्कूल खाले जाने की योजना अलग-अलग राज्य और वहां की परिस्थितियों के अनुसार होनी चाहिए।

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के प्रेसिडेंट व पीडिएट्रिक्स डॉक्टर अरुण गुप्ता ने कहा कि जिन देशों में बच्चों का स्कूल खोला गया है, वहां पर कोरोना के मामले बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि मेरी राय है कि अभी स्कूलों को नहीं खोलना चाहिए।  

मेदांता की पीडिएट्रिक्स डॉक्टर नीलम मोहन ने कहा कि  इस सर्वे के आधार पर आईसीएमआर ने कहा कि 40 करोड़ लोग अभी भी खतरे में हैं, जिन्हें संक्रमण हो सकता है। इस 40 करोड़ में तो बच्चे भी हैं। सर्वे में छोटे बच्चे में 57 पर्सेंट एंटीबॉडी मिली है, यानी 43 पर्सेंट बच्चे अभी भी खतरे के दायरे में हैं। इसलिए जल्दीबाजी न करें।  


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