पंजाब विवाद सुलझाने के बाद कांग्रेस हाईकमान की नजर अब बिहार पर सबसे अधिक है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस आलाकमान राज्य संगठन में सर्जरी कर सकती है। बिहार चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद से ही राज्य में बदलाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान प्रदेश के दिग्गज नेताओं की बैठक जल्द बुला सकती है। पिछले दिनों राज्य के सभी सांसद, विधायक और पार्षद के साथ राहुल गांधी ने भी मीटिंग की थी।
पंजाब कांग्रेस में कलह अभी थमी भी नहीं कि कांग्रेस की बिहार यूनिट आंतरिक दरार से जूझने लगी है। बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस अब राज्य में अपने लिए नए प्रदेशाध्यक्ष की तलाश कर रही है। बताया गया है कि इसके लिए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने विधायक और दलित नेता राजेश कुमार राम का नाम आगे बढ़ाया था, लेकिन उनके नाम को लेकर विवाद हो गया। दरअसल, बिहार के कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने मदन मोहन झा की जगह पर दलित नेता राजेश कुमार राम को नया पीसीसी प्रमुख बनाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। उनका कहना है कि नया प्रमुख ऊंची जाति से होना चाहिए।
बिहार में उभरा ये विवाद पंजाब से भी बड़ा हो सकता है। दरअसल, नीतीश कुमार की जदयू पहले ही कांग्रेस के नाराज विधायकों पर करीबी नजर रख रही है। ऐसे में कांग्रेस सावधानी से चल रही है और विरोध करने वाले उन नेताओं के साथ शांति वार्ता की कोशिश कर रही है, जिन्होंने दास के प्रस्ताव के खिलाफ एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी शिकायत की है। कांग्रेस अपनी सूझबूझ से नाराज नेताओं को मनाने के लिए अलग-अलग योजनाओं पर विचार कर रही है।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस बिहार में पांव जमाने के लिए नया प्रयोग कर सकती है। कांग्रेस हाईकमान की नजर राज्य के दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण वोट बैंक पर है। बताया जा रहा है कि संगठन में बदलाव भी इसी आधार पर होगा। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस महासचिव तारीक अनवर भी बिहार कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं। वैसे रेस में राजेश राम, कौकब कादरी, अखिलेश सिंह और रंजीत रंजन का नाम सबसे आगे है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें