केरल में 21 जुलाई को बकरीद त्योहार को देखते हुए कोविड-19 संबंधी पाबंदियों में सरकार की ओर से दी गई ढील का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार से इस पर जवाब मांगा है। शीर्ष कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील से पूछा कि आखिर किस आधार पर कोरोना प्रतिबंधों में राहत देने का फैसला किया गया है। शीर्ष अदालत में दायर याचिका में बताया गया है कि जब केरल में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं तो पाबंदियों में ढील क्यों दी गई है। बता दें कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कावंड़ यात्रा पर रोक लगा दी गई है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कोविड संबंधी पाबंदियों में ढील देने की घोषणा की है। इसमें कपड़े, जूते-चप्पल की दुकानें, आभूषण, फैंसी स्टोर, घरेलू उपकरण बेचने वाली दुकानों और इलेक्ट्रॉनिक दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा हर तरह की मरम्मत की दुकानों तथा आवश्यक सामान बेचने वाली दुकानों को 18, 19 और 20 जुलाई को सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक ए, बी, और सी श्रेणी के क्षेत्रों में खोलने की मंजूरी दी गई है।
बकरीद पर केरल सरकार के ढील देने वाले इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट किया कि अगर कांवड़ यात्रा गलत है, तो बकरीद पर पाबंदियों में ढील देना भी गलत है। खासकर ऐसे राज्य में जो फिलहाल कोविड-19 के केंद्रों में शुमार है। उन्होंने ट्वीट किया, 'केरल सरकार द्वारा बकरीद समारोह के लिए तीन दिनों की छूट प्रदान करना निंदनीय है, क्योंकि राज्य फिलहाल कोविड-19 के केंद्रों में से एक है।
आईएमए ने भी केरल सरकार से इस फैसले को वापस लेने की अपील करते हुए इसे चिकित्सा आपातकाल के समय गैरजरूरी और अनुचित बताया। आईएमए ने कहा कि अगर केरल सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती तो वह कानूनी प्रक्रिया के तहत इस पर कार्रवाई करेगी। अब सुप्रीम कोर्ट पर नजर है कि वह इस मामले पर क्या फैसला सुनाती है। बहरहाल, इससे राजनीतिक माहौल गर्माने के आसार जरूर बन रहे हैं। विपक्ष इसे धारदार मुद्दा बनाने की तैयारी में लग गया है।
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