बुधवार, 18 जुलाई 2018

किस्मत फडणवीस के साथ



महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस सही में किस्मत के धनी हैं। पार्श्व में जाने से पहले वर्तमान को देखें तो भी यह बात सौ फीसदी सच साबित हो रही है। लंबे अंतराल के बाद नागपुर मंे मानसून सत्र चल रहा है। सरकार नागपुर में है। आला प्रशासनिक अमला भी यहीं पर है और उधर मुंबई डूब रही है। मौसम विभाग अलर्ट पर अलर्ट जारी कर रहा है। फडणवीस फजीहत से साफ बच रहे हैं। मुंबई में मानसून सत्र चल रहा होता तो भारी किरकिरी का सामना सरकार को करना पड़ता। बारिश ने नागपुर में भी रंग जमाया, लेकिन सरकार बदरंग होने से बच गई। विपक्ष के मुद्दे प्रभाव नहीं छोड़ रहे हैं, भले आरोप लग रहा है कि मुख्यमंत्री फडणवीस ‘पैजामे का नाड़ा खोल देने की’ धमकी देकर अपना काम चला रहे हैं।
वर्ष 2017 में 25 मई का दिन फडणवीस भूल नहीं सकते। एक बड़ी दुर्घटना का शिकार होने से वह बच गए
 थे। दरअसल जिस हेलिकॉप्टर में वह सवार थे, उसकी लातूर में क्रैश लैंडिंग करानी पड़ी। पायलट की सूझबूझ के चलते वह और उनकी टीम के सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे। इस वर्ष फडणवीस एक बार फिर हादसे का शिकार होते-होते बचे। पायलट की सूझ-बूझ से कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई। हेलिकॉप्टर में नितीन गडकरी भी थे।  हेलिकॉप्टर की लैंडिंग मुंबई के समीप भयंदर स्थित एक स्कूल में होनी थी। पायलट जैसे ही लैंडिंग के लिए हेलिकॉप्टर नीचे लेकर आ रहा था, तभी उसे मैदान के आस पास तारों का जाल फैला हुआ दिखा। उसने तुंरत हेलिकॉप्टर को ऊपर किया और वापस आसमान में ले गया। इससे पहले सीएम औरंगाबाद के लिए एक हेलिकॉप्टर से रवाना हुए जो कि ओवरलोडिंग के कारण नासिक से उतरने के तुरंत बाद भूमि पर वापस आने पर मजबूर हो गया। कोई दो राय नहीं, फडणवीस पर ऊपर वाले की मेहरबानी हमेशा रही।  
पार्श्व में जाएं तो किस्मत का खेल फडणवीस के हमेशा साथ रहा और महज 22 साल की उम्र में वह नागपुर स्थानीय निकाय से कॉरपोरेटर बन गए और 27 साल की आयु में 1997 में नागपुर के सबसे युवा मेयर चुने गए। कॉरपोरेटर से नागपुर के सबसे युवा मेयर बने देवेन्द्र फडणवीस महाराष्ट्र में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने राजनीतिक सीढ़ियां क्रमिक रूप से चढ़ी हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद मृदुभाषी और युवा नेता फडणवीस इस शीर्ष पद के लिए स्पष्ट रूप से पसंदीदा नेता बने। यहां
 तक कि पार्टी की प्रदेश कमेटी के कई नेताओं ने भी काफी लॉबिंग की। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के भी विश्वस्त माने जाते हैं। चुनाव रैली में मोदी ने उनके लिए कहा था, ‘देवेन्द्र देश के लिए नागपुर का तोहफा हैं।’जनसंघ से जुड़े रहे और बाद में भाजपा के नेता बने दिवंगत गंगाधर फडणवीस के बेटे देवेन्द्र युवावस्था में ही राजनीति में उतर गए थे, जब वह 1989 में आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए थे। गंगाधर को नागपुर के उनके साथी नेता और पूर्व पार्टी प्रमुख नितीन गडकरी अपना ‘राजनीतिक गुरु’ कहते हैं। हालांकि अपने गुरु के इस बेटे की उपलब्धि पर गडकरी को रस्क भी हुआ पर कभी कभी सामने नहीं आने दिया। फडणवीस के ‘राजनीतिक अश्वमेघ का घोड़ा’ सरपट दौड़ रहा है और हाशिए पर खड़े प्रतिद्वंद्वी उन्हें देखकर बस यही कह रहे हैं-किस्मत हो तो फडणवीस जैसी....।
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