बिहार में कोरोना के मामले में एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं। बुधवार को 88 नए पॉजिटिव केस सामने आए हैं। इस दौरान तीन मरीजों की मौत इस महामारी से हुई है। ये आंकड़ें इसलिए चौंकाने वाले हैं, क्योंकि सोमवार को सूबे में 54 केस सामने आए थे, जो मंगलवार को बढ़कर 82 पहुंच गए। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार सुबह तक सक्रिय कोविड केस के मामले में बिहार देश में सातवें स्थान पर था। आंकड़े परेशान कर रहे हैं, क्योंकि तीसरी लहर का अंदेशा बढ़ने लगा है।
कोविड-19 के दूसरी लहर की रफ्तार कम हुई है, खतरा टला नहीं है। डरावने डेल्टा वैरिएंट का संकट मंडरा रहा है। दरअसल, इस साल की शुरुआत में लोगों में कोरोना के प्रति एक बेफ़िक्री का भाव आ गया था। भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए जा रहे सामाजिक दूरी से जुड़े नियमों और दूसरी सलाहों को लोग हवा में उड़ाने लगे थे। नियम तोड़ने पर होने वाले जुर्मानों का भी कोई ख़ौफ़ नहीं रह गया था। नतीजा, गांव-गांव और शहर दर शहर इसकी चपेट में आने लगे। बेमौके आयोजित किए गए धार्मिक जमावड़ों और चुनावी रैलियों ने सुपर-स्प्रेडर घटनाओं का रूप ले लिया। इनके चलते कई राज्य सरकारों को लॉकडाउन का एलान करना पड़ा। उनमें से बिहार भी एक था।
बिहार में पिछले 24 घंटे के दौरान 129 मरीज कोरोना संक्रमण से ठीक हुए हैं। अभी सूबे में 589 एक्टिव केस हैं। नए पॉजिटिव केस और डिस्चार्ज किए गए मरीजों के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की रिकवरी रेट 98.59 फीसदी हो गई है, जो राष्ट्रीय औसत 97.36 फीसदी से 1.23 फीसदी ज्यादा है। पटना में बुधवार को सबसे अधिक 93 एक्टिव केस थे, इसके बाद पूर्वी चंपारण में 51 और भागलपुर में 31 केस पाए गए।
हालांकि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि चिंता की कोई विशेष बात नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर के पीक पर होने के दौरान कुछ मरीजों को ऑक्सीजन की उपलब्धता में देरी हुई, लेकिन इसकी कमी से कोई हताहत नहीं हुआ। हमने सरकारी और निजी अस्पतालों में सभी मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराई। दूसरी लहर के चरम पर रहने के दौरान 232 मीट्रिक टन तक मेडिकल ऑक्सिजन उपलब्ध कराया, जो सामान्य स्थिति से 14 गुना अधिक थी। अभी स्थिति पर नियंत्रण का प्रयास जारी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें