सुप्रीम कोर्ट ने बकरीद के मौके पर COVID-19 प्रतिबंधों में ढील देने के लिए केरल सरकार को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह चौंकाने वाली स्थिति है कि केरल सरकार ने लॉकडाउन मानदंडों में ढील देने में व्यापारियों की मांग को मान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार की ओर से दी गई ढील के चलते राज्य में कोरोना का संक्रमण फैलता है, तो कोर्ट उचित कार्रवाई करेगी। ऐसी लगती हम कदापि नहीं बर्दाश्त करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारियों के दबाव में बकरीद से पहले ढील देने के लिए केरल सरकार को फटकार लगाई और कहा कि यह माफी योग्य नहीं है। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि केरल सरकार ने बकरीद के अवसर पर पाबंदियों में इस तरह की छूट देकर देश के नागरिकों के लिए राष्ट्रव्यापी महामारी के जोखिम को बढ़ा दिया है। पीठ बकरीद के त्योहार के मद्देनजर केरल सरकार द्वारा पाबंदियों में ढील देने के मुद्दे को लेकर दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को चेतावनी देते हुए कि अगर बकरीद के कारण केरल सरकार की ओर से लॉकडाउन में ढील के कारण कोरोना संक्रमण फैलता है, तो कोई भी व्यक्ति इसे अदालत के संज्ञान में ला सकता है। कोर्ट इस पर उचित कार्रवाई करेगी। दो जस्टिस की बेंच ने कहा कि किसी भी तरह का दबाव भारत के नागरिकों के जीवन के सबसे कीमती अधिकार से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है। अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो कोई भी जनता इसे हमारे संज्ञान में ला सकती है और उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
पीठ ने कहा कि हम केरल सरकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित जीवन के अधिकार पर ध्यान देने का निर्देश देते हैं। याद रहे, कोर्ट ने महामारी के बीच कांवड़ यात्रा की इजाजत देने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले संबंधी मीडिया में आई खबरों पर पिछले हफ्ते स्वत: संज्ञान लिया था।
कांवड़ यात्रा पर कोर्ट का कड़ा रुख देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में कांवड़ यात्रा रद्द करने का फैसला किया था। इसी परिप्रेक्ष्य में केरल में बकरीद के अवसर पर छूट देने के राज्य सरकार के निर्णय की ओर कोर्ट का ध्यान दिलाने के लिए एक आवेदन दायर किया गया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें