पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और राज्य कांग्रेस के नवनियुक्त प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के बीच संभावित सुलह पर सस्पेंस अब भी बरकरार है। कैप्टन ने सिद्धू के पीपीसीसी के नए प्रमुख के रूप में नियुक्ति पर चुप्पी साध रखी है। वहीं कैप्टन ने विधायकों और मंत्रियों को लंच पर बुलाया, पर इसमें सिद्धू नहीं थे। दोनों नेताओं के बीच तनावपूर्ण संबंध अब भी बरकरार हैं। अमरिंदर ने कांग्रेस आलाकमान को स्पष्ट कर दिया है कि वह सिद्धू से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक कि वह उनसे सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांग लेते।
अमृतसर पूर्व के विधायक सिद्धू और अमरिंदर दोनों ही विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों से मुलाकात कर समर्थन बढ़ा रहे हैं, लेकिन इस संभावना पर ध्यान दिया जा रहा है कि क्या दोनों नेता एक साथ काम कर पाएंगे, क्योंकि राज्य में करीब छह महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं।
सिद्धू के वफादारों ने दावा किया कि उन्होंने पिछले हफ्ते गुरुवार को दिल्ली से लौटने के बाद पार्टी नेताओं के एक समूह के साथ 80 कांग्रेस विधायकों में से 60 के साथ बैठक की मेजबानी की थी। सोमवार दोपहर सिद्धू विधायकों और मंत्रियों के एक बड़े समूह के साथ अमरिंदर सरकार में मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के आवास पर शक्ति प्रदर्शन के लिए एकत्र हुए थे। इन सभी ने सिद्धू के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाई।
एक विधायक ने कहा, 'सिद्धू अपने निर्वाचन क्षेत्र अमृतसर (पूर्व) भी जाएंगे, जहां उनके स्थानीय समर्थकों उनका स्वागत करेंगे। फिर वह स्वर्ण मंदिर में माथा टेकेंगे। पीपीसीसी प्रमुख के रूप में सिद्धू के औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण करने की तारीख की घोषणा की जानी बाकी है।'
सिद्धू ने अपने दिन की शुरुआत मोहाली में चार नए कार्यकारी अध्यक्षों में से एक कुलजीत सिंह नागरा के साथ विधायक मदनलाल जलालपुर, अमरिंदर सिंह राजा वारिंग और कुलबीर जीरा से मिलने के बाद की। वह पंजाब युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बरिंदर ढिल्लों के अलावा निवर्तमान पीपीसीसी प्रमुख सुनील जाखड़ से दूसरी बार मिलने गए
सबसे अहम यह कि सिद्धू ने अमरिंदर के वफादार नवतेज सिंह चीमा के आवास पर पहुंचकर कई लोगों को चौंका दिया, जहां एक अन्य विधायक हरमिंदर सिंह गिल भी मौजूद थे। वह स्पीकर राणा केपी सिंह के आवास पर भी गए। दोनों को अमरिंदर का वफादार माना जाता है।
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