गुरुवार, 22 जुलाई 2021

‘पेगासस’पर इजरायली खुलासा

देश ही नहीं, दुनिया में पेगासस जासूसी कांड से हंगामा मचा हुआ है। भारत में विपक्षी दल सवाल कर रहे हैं कि क्या सरकार ने इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप से पेगासास स्पाइवेयर खरीदा था? उधर, एनएसओ ग्रुप ने 30 जून को अपनी पॉलिसी डॉक्युमेंट जारी की थी, जिसमें उसने बताया था कि उसके 40 देशों में 60 ग्राहक हैं, जिनमें सरकारें और सरकारी एजेंसियां शामिल हैं।  ग्राहकों में सबसे ज्यादा इंटेलिजेंस एजेंसियां 51% के साथ तो कानून प्रवर्तन संस्थान क्रमश: 38%  और सेना 11% के साथ शामिल हैं।

इजरायली कंपनी ने  रिपोर्ट में यह आशंका जताई थी कि सरकारें और सरकारी एजेंसियां पेगासस का इस्तेमाल नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, वकीलों, एनजीओ आदि की जासूसी करवा सकती हैं। उसने इससे मानवाधिकारों के उल्लंघन का खतरा भी होने की चिंता जताई थी। उसका दावा है कि उसने वर्ष 2020 में पेगासस के दुरुपयोग की 12 घटनाएं पकड़ी थीं।

एनएसओ ने कहा कि अप्रैल 2020 से अप्रैल 2021 के बीच पेगासस स्पाइवेयर के करीब 15% ग्राहकों को नकार दिया गया, क्योंकि मानवाधिकार उल्लंघन की चिंता थी। उसका दावा है कि वर्ष 2016 से वह करीब 30 करोड़ डॉलर यानी करीब 22 अरब रुपये का सौदा ठुकरा चुका है। इनमें 10 करोड़ डॉलर अर्थात करीब 7.50 अरब रुपये के वैसे 5 ग्राहक भी थे, जिन्होंने पेगासस का दुरुपयोग किया था। इन ग्राहकों को सिस्टम से हटा दिया है।

एनएसओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वो भले ही जासूसी के लिए पेगासस स्पाइवेयर की बिक्री करती है, लेकिन वो इतना जरूर चाहती है कि उसके ग्राहक मानवाधिकारों का ख्याल रखें और इसका इस्तेमाल सिर्फ अपराध और आतंक के बड़े वारदातों को रोकने या उसकी जांच करने तक सीमित रहे। उसने कहा कि ग्राहकों पर नजर रख पाना काफी चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट में ग्राहकों के लिए पेगासस के इस्तेमाल की रिपोर्ट मुहैया कराने की शर्त तो होती है, लेकिन इसके लिए ग्राहकों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि, अपनी तरफ से जांच में अगर किसी तरह का दुरुपयोग पकड़ में आता है तो ग्राहक को सिस्टम से डिसकनेक्ट कर दिए जाने का प्रावधान है। कंपनी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में उसके ग्राहकों की तरफ से दुरुपयोग की सिर्फ 0.5% घटनाएं ही सामने आई हैं  55 देशों को ब्लैक लिस्ट में डाला गया है। पड़ताल में  शक सही निकला था।  

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