बिहार के सबसे धनी मंदिर पटना स्थित महावीर मंदिर को लेकर महावीर मंदिर ट्रस्ट और अयोध्या के हनुमानगढ़ी के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी ने सूर्यवंशी दास फलाहारी को राजधानी के महावीर मंदिर का मुख्य पुजारी नियुक्त किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि महावीर मंदिर में लाकडाउन के दौरान भी पूजा हुई है। सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए। बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने कहा कि सितंबर में इस मामले की सुनवाई की जाएगी। दोनों पक्षों ने मामले में आवेदन दिया है।
पटना के महावीर मंदिर के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब हनुमानगढ़ी अयोध्या ने मंदिर पर अपना दावा पेश किया है। मंदिर पर अपने दावों को लेकर हनुमानगढ़ी ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद को पत्र लिखने के साथ महावीर मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने के लिए अयोध्या में हस्ताक्षर अभियान चला रहा है। दूसरी तरफ, महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने हनुमानगढ़ी द्वारा लगाए गए दावे को नकराते हुए कहा कि हनुमानगढ़ी से महावीर मंदिर से कोई वास्ता नहीं है।
उन्होंने बताया कि 1956 में धार्मिक न्यास पर्षद और महावीर मंदिर के बीच समझौता हुआ था, जिसके तहत निर्णय लिया गया था कि न्यास समिति जब तक मंदिर का आर्थिक विकास करते रहेगी, न्यास पर्षद इसके संचालन में हस्तक्षेप नहीं करेगी। 1958 में पटना उच्च न्यायलय ने इस समझौते को स्वीकृति दी। 1990 में धार्मिक न्यास पर्षद ने इसके संचालन के लिए विस्तृत योजना बनाई थी, जिसके अनुरूप काम किया जा रहा है। मंदिर की कमाई का पूरा पैसा परोपकार में लगता है। हनुमान को चढ़ने वाले नैवेद्यम प्रसद एवं चढ़ावा आमदनी का मुख्य स्रोत है।
महावीर मंदिर सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि सामाजिक विकास में भी अपना योगदान देता रहा है। मंदिर में चढ़ने वाले चढ़ावे एवं नैवेद्यम से मिलने वाली राशि को परोपकार के कामों में लगाया जाता है। महावीर मंदिर की कमाई से महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य, महावीर आरोग्य संस्थान व महावीर नेत्रालय आदि अस्पतालों का संचालन होता है। महावीर कैंसर अस्पताल में मरीजों को तीनों वक्त का भोजन मुफ्त में मिलता है। सामान्य मरीजों को भर्ती होते ही दस हजार रुपये व गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले मरीज को 15 हजार रुपये इलाज के लिए दिए जाते हैं।
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