शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

रेल यात्रियों पर पत्थरबाजी, निशाने पर मोबाइल

आज की जिंदगी मोबाइल फोन के सहारे है। मोबाइल नहीं, तो पूरा सिस्टम ठप। नींद खुलने के साथ और नींद आने के पहले तक बगैर इसके चैन नहीं। बेचैन वे भी हैं, जिन्हें आपका चैन छीनना है। चंद रुपयों की खातिर आप पर सीधा हमला किया जाता है। कोई राह रहते लुट जाता है, तो किसी के घर से चोरी हो जाती है। साइबर अपराधों से निपटने वाली पुलिस हाथ मलती रह जाती है, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाता। अब मोबाइल हथियाने का नया फंडा निकल पड़ा है। नागपुर आउटर पर इससे कभी भी वास्ता पड़ सकता है। नागपुर आने के पहले आपको रेलवे लाइन के पहले बच्चे खेलते नजर आएंगे। आपको विश्वास ही नहीं हो सकता कि अपराध की दुनिया से दूर अपनी जिंदगी में मस्त ये बच्चे शातिर अपराधी भी सकते हैं। कुछ ही दूरी पर इनकी सुरक्षा के लिए कुछ लोग बैठे होते हैं, जो पलक झपकते कुछ भी कर सकते हैं। चूंकि पुलिस सीधे वहां नहीं पहुंच पाती है, इसलिए बेखौफ होते हैं और पुलिस पहुंचना चाहती भी नहीं। इसके कारणों तक जाने की जरूरत नहीं, यह अंदर की बात है। बहरहाल, बाहर की बात यह है कि नागपुर पहुंचने से पहले सावधान रहें। अगर आप फोन पर बात कर रहे हैं, तो कृप्या खिड़की और दरवाजे के पास न रहें। मोबाइल पर हाथ साफ करने वाले आपके मोबाइल वाले हाथ पर पत्थर अथवा डंडे से प्रहार कर सकते हैं। उन्हें मालूम है कि धीमी ही सही, चलती ट्रेन से कूदने और इन्हें पकड़ने का आप हिम्मत जुटा ही नहीं सकते। आपकी सुखद और मंगलमय यात्रा की हम कामना करते हैं…। 

नागपुर रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने की जी-जान से कोशिश की जा रही है, मगर मानसिकता नहीं बदल रही। बात सभी की नहीं, उन चंद चोर-उचक्कों की है, जो अपनी फितरत बदलने की कोशिश नहीं करते। ट्रेन से सफर कर रहे लोग आजकल इनके निशाने पर हैं। अनेक यात्री गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।  ट्रेन की पटरियों के आसपास कई युवक घात लगाकर बैठते हैं। तेज रफ्तार ट्रेन की खिड़कियों और दरवाजे पर मोबाइल का उपयोग कर रहे लोगों को निशाना बनाते हैं। पत्थर की चोट खाकर कुछ यात्रियों के हाथ से मोबाइल छूटकर गिर जाता है।  इस तरह की घटनाएं आए दिन हो रही हैं। मोबाइल से हाथ धो चुके यात्री घटना की शिकायत भी नहीं करते। 

नागपुर रेलवे स्टेशन से 1-2 किलोमीटर के अंतराल में ट्रेन यात्रियों के हाथ पर डंडा मारकर मोबाइल हथियाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। विशेषकर मोमिनपुरा के पिछले हिस्से में नोगा फैक्टरी के आसपास अनेक यात्रियों से इस तरह मोबाइल हथियाए गए हैं। कुछ दिन पूर्व एक युवक का इसी तरह मोबाइल गिरा दिया गया था। अपना मोबाइल वापस हासिल करने के लिए यह युवक चलती ट्रेन से कूद पड़ा और ट्रेन की चपेट में आ गया। शरीर दो टुकड़ों में बंट गया। घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। 

मामले को गंभीरता से लेते हुए दपूम रेलवे द्वारा विशेष टास्क फोर्स बनाई गई है। पटरियों के आसपास बसी बस्तियों में रहने वालों को टास्क फोर्स के सदस्यों ने समझाने का प्रयास किया, साथ ही कार्रवाई की चेतावनी भी दी। दरअसल, चलती ट्रेन पर पत्थरबाजी और डंडा मारकर मोबाइल हथियाने की घटनाओं का बड़ा कारण रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण कर बसर कर रहे अतिक्रमणकारी हैं। शहर के अनेक इलाकों में ट्रेन की पटरियों के आसपास झुग्गियां तैयार हो गई हैं। इन झुग्गियों में रहने वाले युवक बेरोजगारी की मार के कारण पत्थरबाजी की घटनाओं को अंजाम देते हैं। 

दूसरी तरफ, इन बस्ती वालों के भी आरोप हैं। इनका कहना है कि कुछ यात्री सफर के दौरान ट्रेन से बाहर झांककर पटरियों के आसपास खड़े युवकों को मुंह चिढ़ाने का प्रयास करते हैं।  कभी घर के सामने काम करती महिलाओं को देखकर कुछ यात्री अश्लील इशारे करते हैं। जवाब में यहां खड़े युवक गुस्से में ट्रेन की ओर पत्थर फेंकना शुरू कर देते हैं। पटरियों के आसपास बसर करने वालों को इस तरह की ओछी हरकतों का रोज ही शिकार होना पड़ता है।  गुस्सा पत्थरबाजी से फूटता है। इन मुंह चिढ़ाते यात्रियों पर पत्थर तो उछाला जाता है, लेकिन इसका निशाना कोई और ही बन जाता है। कभी किसी महिला यात्री का सिर फूटता है, तो कभी कोई गंभीर रूप से घायल हो जाता है। 

पांचपावली रेलवे क्रासिंग से तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर ट्रेन की पटरियों के आसपास रहने वालों की अपनी व्यथा है, तो पत्थरबाजी के शिकार हुए यात्रियों की अपनी व्यथा। गलत दोनों ही हैं। ट्रेन के यात्रियों की सुखद और मंगलमय यात्रा की कामना रेलवे चीख-चीख कर करती है, पर यात्री ही अपनी सुखद यात्रा में विघ्न डालने की कोशिश करें, तो कौन बचाए। और ट्रेन के यात्रियों को ‘अतिथि देवो भव:’ स्वीकार करते हुए तथाकथित पत्थरबाजों को चाहिए कि वह उनकी हरसंभव सहायता की कोशिश करें, वर्ना वे आपकी पहचान नहीं, आपके शहर की इस कलंकित पहचान को दुनिया के सामने रखेंगे।  


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें