सोमवार, 20 दिसंबर 2010
कुत्ते को भी बुरा लगा...
मुझे कुत्ता पालने का कोई शौक नहीं ! मैं कुत्ते, बिल्ली आदि जानवर पालने को अमीरों के चोंचले मानता थी! सुबह शाम लोगों को कुत्ते की जंजीर हाथ में पकड़ कर टहलते हुए देखती तो मैं उनको फुकरा समझा करता था जो अपनी झूठी शान दिखाने के लिए आडम्बर करते हैं ! पिक्चरों में या कई बड़े घरों में लोगों को कुत्ते, बिल्लियों से अपना मुंह चटवाते देखता तो बड़ी नफरत होती थी ! आज के भाग-दौड़ के समय में अपना तथा अपने बच्चों का ख्याल रखना ही बहुत बड़ी बात थी फिर इन जानवरों को पाल कर अपनी फजीहत करवाना मुझे कतई पसन्द न था ! लेकिन मेरे चार साल के बेटे को पता नहीं कहां से धुन सवार हो गई ! पता नहीं उसने टी वी में देखा या किसी दोस्त के कहने पर कुत्ता पालने की जिद करने लगा ! उसे बहुत समझाया ! कुत्ता पालने के दोष गिनवाये ! घर गन्दा होने का वास्ता दिया ! कुत्ते के बदले में कोई और अच्छी और मंहगी चीज लेकर देने का लालच दिया ! लेकिन उसकी तो एक ही जिद थी कि कुत्ता पालेंगें ! आखिर हुआ वही, एक कुत्ते को घर लाई, लेकिन उसके बारे में ये अंतिम शब्द हैं-कुत्ता। वो कुत्ता नहीं रहा। घर का सदस्य हो गया। सब कुछ सामान्य ढंग से चलता रहा। परिवार में एक सदस्य की गिनती बढ़ जो गई थी। मगर एक दिन उसने बेटे को मुंह से पकड़ लिया। मुझे क्रोध आ गया ! मैंने गुस्से से उसको डांटते हुए उससे फिर पूछा तो उसने सिर झुका लिया और धीरे से बोला - भईया ने मुझे बहुत गन्दी गाली दी थी ! मुझे गुस्सा आ गया और मैंने भईया को काट लिया ! गाली दी थी ? इसलिए तो बुरा लगा। वो मुझे मार लेते, मुझे कोई दूसरी गाली दे देते, मां की गाली दे देते, बहन की गाली दे देते ! पर उन्होंने तो मुझे बहुत ही गन्दी गाली दी थी ! मुझे गुस्सा आ गया और गुस्से में मैंने भईया को काट लिया ! वह कहता जा रहा था ! उस गाली को मैं बर्दास्त नहीं कर पाया और गुस्से में मैंने भईया को काट लिया ! क्या गाली दी थी पुरु ने तुम्हें जो तुमने उसे काट लिया ? मैंने आंखें तरेर कर पूछा ! उसने अप्रत्यक्ष रूप से हाल में हुए बड़े घोटालों के कर्ताधर्ताओं की नाम ली और गुस्से में कहा- जो भी मुझे इन नामों से बुलाएगा, उसका वही हश्र करूंगा।
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