बुधवार, 15 दिसंबर 2010
आतंकवादियों के बहुत सारे नए रास्ते
नेपाल में जारी राजनीतिक अनिश्चितता पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही नहीं चेती, तो भारत एक बार फिर से सिख आतंकवाद से दहल उठेगा। जम्मू-कश्मीर समेत देश के कई राज्य पहले से ही पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की विभीषिका से जूझ रहे हैं। अब पाकिस्तान से सिख आतंकवादियों को पूरी मदद मिल रही है और इन्हें नेपाल होते हुए भारत भेजा जा रहा है। खुफिया अधिकारियों का मानना है कि पाकिस्तान उत्तर प्रदेश को ट्रांजिट रूट के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। भारत-नेपाल की 550 किलोमीटर लंबी खुली सीमा आतंकियों के नापाक मंसूबों में मददगार साबित हो रही है। नेपाल की सीमा से आतंकियों को उत्तर प्रदेश में घुसाकर उन्हें तराई के इलाकों में शरण दिलाई जाती है। यहां से आतंकवादियों को देश के विभिन्न हिस्सों में वारदातों को अंजाम देने के लिए भेजा जाता है। पाकिस्तान की यह साजिश इस लिहाज से भी खतरनाक है कि अब सिख और मुस्लिम आतंकवादी संगठन एक साथ काम कर रहे हैं। नेपाल में पाक दूतावास से इन आतंकियों को हर तरह की मदद मिल रही है। सिद्धार्थ नगर के बढनी बॉर्डर से सिख आतंकवादी माखन सिंह उर्फ दयाल सिंह की गिरफ्तारी से पाकिस्तान के नापाक मंसूबों का खुलासा होता है। माखन सिंह से मिली जानकारी के अनुसार आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल पाकिस्तान की मदद से अपने संगठन को मजबूत करने में लगा है। माखन बब्बर खालसा इंटरनेशनल का सेकेंड लेफ्टिनेंट है, जो दर्जनों सिख युवकों को आतंकी गतिविधियों की ट्रेनिंग दिलाकर उन्हें नेपाल के रास्ते भारत भेज चुका है। उसके काठमांडू में सक्रिय आईएसआई एजेंटों से अच्छे संबंध हैं। नेपाल में वह अपनी सारी गतिविधियों को पाकिस्तानी दूतावास के संरक्षण में अंजाम दे रहा था। माखन ने जो चौंकाने वाला खुलासा किया है, वह और भी ज्यादा चिंताजनक और संवेदनशील है। इसके मुताबिक आईएसआई के संरक्षण में बब्बर खालसा इंटरनेशनल के खालिस्तानी मूवमेंट को अमेरिका के कुछ सिखों से आर्थिक मदद मिल रही है। सिद्धार्थनगर व उसके पड़ोसी महराजगंज जिले की सीमा नेपाल से सटी है। इस इलाके से अब तक करीब एक दर्जन से अधिक दुर्दांत सिख आतंकी पकड़े जा चुके हैं। खुफिया तंत्र की मानें तो नेपाल में जारी राजनीतिक अनिश्चितता का फायदा पाकिस्तान आतंकी संगठनों को मजबूती और ट्रेनिंग देने में उठा रहा है। माओवादियों के साथ आतंकियों के रिश्तों का पहले ही खुलासा हो चुका है। नेपाल में पाक दूतावास इनके लिए कई सुविधाओं के साथ ही ट्रेनिंग के लिए सुरक्षित ठिकाने भी मुहैया कराता है। आतंकी वारदातों को अंजाम देने का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद आतंकवादियों की खेप को नेपाल के रास्ते ही वाया उत्तर प्रदेश होते हुए भारत के विभिन्न इलाकों में पहुंचा दिया जाता है। वर्ष 1997 में बढऩी बॉर्डर पर सबसे पहले सिख आतंकवादियों भाग सिंह और अजमेर सिंह को बॉर्डर पुलिस फोर्स ने गिरफ्तार किया था। दोनों ही आतंकी पंजाब में हत्या व लूट की दर्जनों वारदातों के आरोपी थे। चार माह पहले एटीएस प्रभारी अभय प्रताप मल्ल ने बटला हाउस कांड के आरोपी और पांच लाख के इनामी आतंकवादी सलमान को गिरफ्तार किया था। सलमान आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का सक्रिय सदस्य है। बढनी सीमा पर ही पांच साल पहले शकील नामक आतंकवादी को एके-47 के साथ गिरफ्तार किया गया था। इसके पूर्व महराजगंज के सोनौली बॉर्डर पर मुंबई बमकांड के मास्टर माइंड याकूब मेनन, हार्डकोर आतंकी राजू खन्ना को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मेनन वर्ष 1992 में हुए मुंबई बम ब्लास्ट का न केवल मास्टर माइंड था बल्कि उसने धमाके कराने के लिए आतंकियों को धन भी मुहैया कराया था। भारत-नेपाल की 550 किमी लंबी सीमा पूरी तरह से खुली है। यह आतंकवादियों के लिए काफी सुरक्षित है। मुख्य मार्गों पर ही बैरियर लगाकर चेकिंग होती है, खुले कच्चे रास्तों पर चेकिंग कर पाना मुमकिन भी नहीं है। खुफिया तंत्र की मानें तो नेपाल में जारी राजनीतिक अनिश्चितता का फायदा पाकिस्तान आतंकी संगठनों को मजबूती और ट्रेनिंग देने में उठा रहा है। माओवादियों के साथ आतंकियों के रिश्तों का पहले ही खुलासा हो चुका है। नेपाल में पाक दूतावास इनके लिए कई सुविधाओं के साथ ही ट्रेनिंग के लिए सुरक्षित ठिकाने भी मुहैया कराता है। आतंकी वारदातों को अंजाम देने का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, आतंकवादियों की खेप को नेपाल के रास्ते ही वाया उत्तर प्रदेश होते हुए भारत के विभिन्न इलाकों में पहुंचा दिया जाता है। नेपाल के रास्ते पाकिस्तान ने भारत की अर्थव्यवस्था को चौपट करने का अभियान चला रखा है। जाली नोटों की लंबी खेप वाया नेपाल भारत पंहुचाई जा रही है। पिछले तीन माह में जाली नोट तस्करों को एटीएस गिरफ्तार कर चुकी है। यहां आतंकवादियों और जाली नोटों के तस्करों की गिरफ्तारी एटीएस करती है। नेपाल के सरहदी जिलों से अब तक करीब साढ़े तीन सौ लोगों की गिरफ्तारी इस बात की पुष्टि करती है। वह भी उन हालात में जब इन गिरफ्तार लोगों में अधिकतर की पहचान जैश-ए-मोहम्मद और अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के सदस्य के रूप में की जा चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस बात की सूचना मिली है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन नेपाल की सीमा के जरिए भारत में घुसने की फिराक में है। मार्च महीने में भारत-नेपाल सीमा पर एक पाकिस्तानी, एक इसराइली व एक जर्मन नागरिक को बिना उचित दस्तावेजों के भारत में घुसते हुए सश सीमा बल के जवानों ने पकड़ा था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के साथ मिलकर देशद्रोह की गतिविधियों में शामिल कई लोग रातों-रात धनवान हो गए, जिन पर प्रशासन की नजर तो है। लेकिन वह इन पर सीधे तौर पर कार्रवाई करने से कतरा रहा है। खुफिया तंत्र की मानें तो प्रतिबंधित संगठन का एक सदस्य इलाके की शैक्षणिक संस्था में अध्यापन का कार्य कर रहा है। इससे साफ है कि आईएसआई ने भारत-नेपाल सीमा पर अपनी जड़ें कितनी गहराई तक जमा ली है। एसएसबी के डीआईजी ब्रजसोम का कहना है कि सीमा पर एसएसबी के जवानों की सतर्क नजर है। चेकिंग की जा रही है। नेपाल से सटी सरहद पर आतंकियों की बढ़ती गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत-नेपाल सीमा पर तैनात सशस्त्र सुरक्षा बल के जवानों को अब झाड़-झंखाड़ के बीच पैदल गश्त करने की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। अब वह सीमा के एक छोर से दूसरे छोर तक अपने वाहन से आराम से गश्त कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने लोक निर्माण विभाग को भारत-नेपाल सीमा पर सात मीटर चौड़ी सड़क के निर्माण का प्रोजेक्ट तैयार कर उसे भेजने का निर्देश दिया है। इस योजना को मूर्तरूप देने के लिए लखनऊ में केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच बैठक में सहमति बन चुकी है। सड़क सीमा बिंदू से सौ गज पहले बनेगी जिसका विस्तार नेपाल से सटने वाले प्रत्येक जिले तक होगा। यह सड़क खासतौर पर एसएसबी के लिए रिजर्व रहेगी। सड़क पर हाईपावर के प्रकाशबिंदु और निगरानी के लिए विशेष उपकरण लगाए जाएंगे।
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