बुधवार, 15 दिसंबर 2010
अपमान के और कितने घूंट
हैनरी टुमैन से लेकर आइजनहॉवर तक और जॉन एफ.कैनेडी, रिचर्ड निक्सन से लेकर बुश सीनियर तक अमेरिका के विभिन्न राष्ट्रपतियों के कार्यकाल के दौरान शीत युद्ध और विश्व राजनीति के ध्रुवीकरण जैसे कुछ कारणों के चलते भारत और अमेरिका के संबंध सदैव प्रतिकूल एवं असौहार्दपूर्ण ही रहे। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, युगोस्लाविया के राष्ट्रपति टीटो और मिस्र के गैमल अब्दुल नासिर ने मिलकर निर्गुट आंदोलन आरंभ किया और फिर बैंडंग, इंडोनेशिया में इस आंदोलन को मजबूती प्रदान की। पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका ने सदैव इस आंदोलन को संदेह की दृष्टि से देखा। अमेरिका आज भी यही करता है कि जो देश अंतरराष्ट्रीय मामलों में उसके साथ नहीं चलते, वे उसके विरोधी हैं। आतंकवाद के विरूद्ध जंग का आह्ववान करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू. बुश ने यही तो कहा था, 'या तो आप हमारे साथ हैं या विरोध में हैं।Ó अमेरिका प्रारंभ से ही यह जानता था कि अमेरिकी इशारों पर न नाचने वाले भारत को सबक सिखाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है पाकिस्तान को भारत के विरूद्ध सैन्य मजबूती प्रदान करना। कश्मीर मुद्दे के साथ-साथ भारत के विरोध में पाकिस्तान को प्रसन्न करने के लिए अमेरिका प्रशासन द्वारा किए गए प्रयासों के कारण नई दिल्ली और वाशिंग्टन के बीच की दरार वर्षो तक बढ़ती रही। अमेरिका एक तरफ तो भारत की पीठ थपथपाता है, दूसरी तरफ खंजर भोंकने के लिए पीठ की ओर इशारे से बताता है। इज्जत तो कभी इस राष्ट्र ने की ही नहीं। भारत एकतरफा प्रेम में पागल रहा। इसी प्रेम के कारण कितनी ही बार जलालत की हद से गुजरने की नौबत आई। बातें बढ़ता देख अमेरिका अनमने मन से माफी का अस्पष्ट उच्चारण कर डालता है। सवाल है कि यह कब तक? अमेरिका में भारत की राजदूत मीरा शंकर को मिसिसिपी में असहज स्थिति से गुजरना पड़ा, जब उन्हें सुरक्षा कतार से हटा लिया गया और राजनयिक के तौर पर परिचय दिए जाने के बावजूद एक विशेष अमेरिकी सुरक्षा एजेंट ने हाथों से उनकी तलाशी ली। यह वाकया चार दिसंबर को मिसिसिपी के एवर्स अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुआ। मीरा शंकर ने साड़ी पहनी थी और वह मिसिसिपी स्टेट यूनीवर्सिटी के एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद बालटीमोर की उड़ान में सवार होने के लिए कतार में लगी थीं, तभी उन्हें कतार से निकालकर अलग ले जाया गया। अधिकारी ने बताया कि मीरा ने अपने राजनयिक होने का परिचय दिया। वह मिसिसिपी विकास प्राधिकरण प्रतिनिधि और हवाईअड्डे के एक सुरक्षा अधिकारी के सुरक्षा घेरे में थीं, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उनकी तलाशी ली गई। राजनयिक के रूप में परिचय देने के बावजूद उन्हें वीआईपी वेटिंग रूम में ले जाया गया। बाद में उन्हें सुरक्षा पंक्ति से निकाला गया और एक महिला परिवहन सुरक्षा प्रशासन एजेंट ने उनकी तलाशी ली। मीरा हमेशा साड़ी ही पहनती हैं और यह पहला मौका है, जब उन्हें इस वजह से ऐसी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। अमेरिका में भारत की शीर्ष राजनयिक के तौर पर वाशिंगटन आने के बाद से मीरा पूरे अमेरिका में खूब यात्रा करती रही हैं और देशभर में विश्वविद्यालयों में व्याख्यान देने के लिए उन्हें आमंत्रित किया जाता है। यह पहला मौका है जब टीएसए नियम लागू होने के बाद वह वाशिंगटन से बाहर यात्रा कर रही थीं। नये टीएसए नियमों को एक नवंबर को लागू किया गया था, जिसके अंतर्गत हवाईअड्डों पर तैनात संघीय सुरक्षा अधिकारियों को जरूरत पडऩे पर हाथों से तलाशी लेने का अधिकार दिया गया है। हालांकि इसे अक्सर विवादित माना जाता है। पहले भी इस तरह हाथों से तलाशी लेने और फुल बॉडी स्कैनिंग की काफी आलोचना होती रही है, जिसपर टीएसए का तर्क है कि बढ़ते सुरक्षा खतरे को देखते हुए ऐसा किया जाता है। जैक्सन हवाईअड्डे पर अभी फुल बॉडी स्क्रीनर्स नहीं है इसलिए मीरा की गहन तलाशी की जरूरत पडऩे पर उनकी तलाशी हाथों से ली गई। यह पहला मौका नहीं है, जब भारत के विशिष्ट व्यक्तियों को अमेरिका के हवाई अड्डों पर इस तरह के असहज हालात से दो चार होना पड़ा हो। सितंबर में भारत के नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल के साथ अमेरिका के आव्रजन अधिकारियों ने शिकागो के ओ हेयर हवाईअड्डे पर पूछताछ की थी क्योंकि उनकी जन्मतिथि प्रफुल्ल पटेल नाम के एक अन्य शख्स के साथ मेल खा रही थी, जो अमेरिका में वांछितों की सूची में था। अगस्त 2009 में बॉलीवुड अभिनेता शाहरूख खान को न्यूयॉर्क लिबर्टी इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर रोककर उनसे पूछताछ की गई थी। शाहरूख भारत के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित एक परेड में भाग लेने के लिए शिकागो जा रहे थे। पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस का दावा है कि अमेरिका के राजधानी क्षेत्र में स्थित डलास हवाईअड्डे पर उनकी दो बार जामा तलाशी ली गई। उनके अनुसार 2002 के शुरू में वाशिंगटन की उनकी सरकारी यात्रा और वर्ष 2003 के मध्य में ब्राजील जाते हुए उनकी तलाशी ली गई। जवाब भारत को देना है। अगर समय रहते दो टूक से परिचय नहीं कराया गया तो विश्व विरादरी में जो किरकिरी होगी, वह तो होगी ही बदनामी का नया अध्याय जुडऩे में देर नहीं लगेगा।
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