मंगलवार, 28 दिसंबर 2010
परिपूर्णता से आगे की संपूर्णता
महाराष्ट्र सरकार ने एक शराब ब्रांड के विज्ञापन की पेशकश स्वीकार नहीं करने के लिए मास्टर बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर की सराहना की है। महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री शिवाजीराव मोघे ने एक प्रमुख ब्रांड के विज्ञापन के लिए 20 करोड़ रुपए की पेशकश को ठुकराने पर उनकी सराहना करते हुए एक पत्र लिखा है। पत्र में मोघे ने कहा, हम सचिन की सराहना करते हैं क्योंकि वह अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार के मद्य निषेध अभियान में मदद कर रहे हैं तथा दूसरों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं। मोघे ने कहा कि करोड़ों युवा दिलों के अजीज सचिन ने जताया है कि वह समाज के जिम्मेदार नागरिक हैं और अपने सिद्धांतों पर कायम रहकर उन्होंने इतनी बड़ी राशि ठुकरा दी। उन्होंने कहा, मैं उम्मीद करता हूं कि अन्य मशहूर लोग भी सचिन के कदमों का अनुसरण करेंगे और समाज को नशामुक्त बनाने में मदद देंगे। मंत्री ने कहा कि हम युवाओं को शराब और सिगरेट से दूर रखना चाहते हैं तथा इसके लिए एक नीति तैयार की जा रही है। यह अगर महाराष्ट्र सरकार की नेकनीयति है तो सचिन की महानता भी। सचिन तेंदुलकर को यूं ही महान नहीं कहा जाता। मगर इस महानता के पीछे तपस्या होती है। किसी शख्स का तप ही उसे महानता की तरफ ले जाता है। आजकल सचिन को क्रिकेट के भगवान के रूप में नवाजा जा रहा है। सचिन परिपूर्णता से आगे निकल चुके हैं। वो खुद अपने शिखर तय करते हैं और फिर उन्हें देखते ही देखते हासिल कर डालते हैं। उनके लिए ये सिर्फ एक नई मंजिल तक पहुचना होता है, लेकिन उनके चाहने वालों के लिए ये एक किंवदंती में तब्दील हो जाता है। ये उन्हें क्रिकेट के दायरे से बाहर ले जाता है। फिर भी तेंडुलकर बेपरवाह हैं आलोचनाओं से, अपने पर उठते सवालों से। हर सवाल का जवाब उनके बल्ले से निकलता है। वे चुनौतियों का आंख में आंख डालकर सामना ही नहीं करते, वो जो सर्वश्रेष्ठ है, उसको अपने बल्ले से जवाब देने में यकीन रखते हैं। भारतीय टीम की धुरी बने सचिन तेंदुलकर ग्रीक कथाओं के नायक एटलस की याद दिलाते हैं। अपने कंधे पर ग्लोब यानी दुनिया को उठाए एटलस। पिछले दो दशक में सचिन ने भी अपने बल्ले के सहारे भारतीय टीम का भार इसी तरह उठाया हुआ है।
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