बुधवार, 22 दिसंबर 2010

पवार ने फिर मुंह खोला

केंद्रीय कृषिमंत्री शरद पवार जब भी मुंह खोलते हैं, जनता डर जाती है। कारण महंगाई से जुड़ी हुई है। एक भविष्यवक्ता की तरह भविष्यवाणी तो कर देते हैं, लेकिन एहसास कर ही जनता कांप जाती है। लोगों को भरोसा था कि संप्रग सरकार शायद कुछ राहत का संदेश देगी। घोटालों की चुभन के बीच अगर महंगाई से पार पाने की कुछ बात हो जाती, तो करोड़ों हाथ दुआओं के लिए उठते। लेकिन शरद पवार ने जले पर नमक छिड़क दिया। उन्होंने कहा है कि अगले अभी 2-3 हफ्ते तक प्याज की कीमतें रुलाएंगी। पवार साहब का कहना है कि प्याज खेत में ही सड़ गए, इसके चलते कीमतें एकाएक बढ़ गई हैं। लगता हैपवार साहब और सड़ाध के बीच चोली-दामन का रिश्ता कायम हो गया है। गत 12 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भारतीय खाद्य निगम के गोदामों के अंदर और बाहर सड़ते हुए अनाजों को गरीबों के बीच मुफ्त उपलब्ध करवाने के आदेश को वे समझ ही नहीं सके थे। सर्वोच्च न्यायालय ने लगभग लताड़ते हुए कहा था कि जब केबिनट मंत्री को अदालत की भाषा समझ में नहीं आ रही है तो आम आदमी का क्या होगा? सच कहा जाए तो शरद पवार को आसानी से कोई चीज समझ में नहीं आती है। या फिर वे जान-बूझकर ऐसा करते हैं। 12 अगस्त के अदालत के आदेश के आलोक में उन्होंने कहा था कि सड़ते हुए या सड़े हुए अनाज को बांटना संभव नहीं है। इसी कारण 31 अगस्त को न्यायधीश दलवीर भंडारी और न्यायधीष दीपक वर्मा की खंडपीठ को अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल मोहन पाराशरन से कहना पड़ा कि मंत्री महोदय अदालत के आदेष को गलत तरीके से पारिभाषित नहीं करें। अदालत की इस फटकार के बाद श्री शरद पवार को सब कुछ साफ-साफ समझ में आ गया। दरअसल इधर कुछ सालों से कृषि एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री श्री शरद पवार लगातार विवादों में रह रहे हैं। कभी आईपीएल को लेकर तो कभी शक्कर के कारण। उनका दूध के दाम को बढ़ाने वाला बयान भी काफी विवादास्पद रहा था। महंगाई यूं ही नहीं बढ़ रही। इसे प्रश्रय मिला हुआ है। जमाखोर, नेता, अफसर... सब मिले हुए लग रहे हैं। एक बयान आता है और जमाखोरी शुरू हो जाती है। दाम बढऩे लगता है। शरद पवार ने एक बार फिर वह काम किया है, जिसके लिए उन्हें गरीब आदमी कभी माफ नहीं करेगा। एक बार फिर उन्होंने सरकार के संभावित फैसले को लीक कर के महंगाई के नीचे पिस रही जनता को भूख से मरने वालों की अगली कतार में झोंक दिया है। उन्होंने जो बयान दे दिया है , उससे आने वाले दिनों में सूंघने के लिए प्याज का मिलना मुश्किल हो जाएगा। शरद पवार को ऐसे कामों में महारत हासिल है। अपनी शातिराना साजिशों के असर का जिम्मा किसी और के ऊपर मढ़ देने में भी उनका जवाब नहीं है। चौतरफा महंगाई के लिए उनसे मीडिया ने जब सवाल किया तो उन्होंने कहा कि राशन की दुकानों और गरीबी के रेखा के नीचे के लोगों का काम राज्य सरकारों के जिम्मे है और राज्य सरकारें अपना काम सही तरीके से नहीं कर रही हैं इसलिए महंगाई पर काबू पाने में दिक्कत हो रही है। केंद्रीय सरकार में विभिन्न व्यापारिक हितों के प्रतिनिधियों के शामिल होने की वजह से भी खाने पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं पर शरद पवार को कोई फर्क नहीं। वे नीरो की तरह अपने काम में लगे हुए हैं। मनमोहन सिंह कितनी बार सफाई पेश करेंगे। मौजूदा केंद्र सरकार में और भी ऐसे सूरमा मंत्री हैं जो जनता के पेट पर लात मार कर अपने पूंजीपति आकाओं को खुश करने के लिए तड़प रहे हैं। पूंजीपतियों के हुक्म की गुलाम सरकार से कोई उम्मीद बेमानी है। ठीक आज से एक साल पहले नए वर्ष का स्वागत करने जहां जनता सर्द चेहरे पर भरसक मुस्कान लाने की कोशिश कर रही थी, शरद पवार देश में महंगाई पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि गरीबों के विकास और आर्थिक रूप से समर्थ हो जाने के कारण खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़े हैं। खाद्य तेल और दालों की कमी आगे भी बने रहने की संभावना जताते हुए उन्होंने देशवासियों को इस साल कम खाने की सलाह भी दे डाली थी। नए साल के आगमन की तैयारी जोरों पर है। प्याज की बढ़ती कीमतों से चिंतित सरकार ने पाकिस्तान से प्याज मंगाने का फैसला किया है। समस्या हल हो जाती, लेकिन किसी और ने नहीं, प्याज के बारे में शरद पवार ने कुछ बोला है।

1 टिप्पणी:

  1. महाराष्ट्र माझा नामक एक वेबसाईट पे Most Corrupt Indian -२०१० के लिए मतदान चल रहा है, उसमे शरद पवार साहब को सब से ज्यादा वोट्स मिल रहे है, देखते है अखिर मैं कोन जितता है, भ्रष्टाचारी तो सब है लेकिन उन सबके बाप का खिताब जनता किसे देती है येह देखना रोमांचकारी होगा.

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