बुधवार, 15 दिसंबर 2010

नीरा ओ नीरा...

दर्जन भर टेलीकाम कम्पनियों के साथ ही अब दुनिया की सबसे बड़ी महिला दलाल नीरा राडिया पर भी केंद्रीय जांच ब्यूरो का फंदा कसने लगा है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में कंपनियों के लिए जनसम्पर्क का काम करने वाली नीरा राडिया की भूमिका की जांच होगी। सीबीआई ने कहा है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में भारी अनियमितता हुई है, जिसका दूसरे देशों तक फैले हैं। हलफनामे में सीबीआई ने इस बात को माना है कि यह मामला काफी बड़ा है। जांच एजेंसी ने कहा कि इस मामले की जांच सिर्फ देश तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार दूसरे देशों तक हैं। सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय को उन कंपनियों की सूची भी दी है, जिनके परिसरों में जांच के दौरान छापेमारी की गई है। इन कंपनियों में यूनिटेक वायरलेस, एस टेल, श्याम टेलीलिंक्स, स्वान टेलीकाम, डाटाकाम साल्यूशन, लूप टेलीकाम, टाटा टेलीसर्विसेज, आलियांज इन्फ्राटेक, स्पाइस कम्युनिकेशन और आइडिया सेल्युलर शामिल हैं। दरअसल, नीरा राडिया सब जगह खबरों में हैं और सबसे नई खबर यह आ रही है कि सिर्फ टाटा घराना नीरा की कंपनियों को साठ करोड़ प्रति वर्ष देता था और टाटा समूह ने अपना जनसंपर्क विभाग हमेशा के लिए बंद कर दिया था। नीरा राडिया का असली नाम है नीरा शर्मा। देखने में उम्र चाहे जो लगती हो लेकिन तीन जवान बच्चों की मां है। पिता जी एक जमाने में केन्या में काम करते थे और बाद में आ कर लंदन बस गए जहां नीरा शर्मा की पढ़ाई हुई। पिता बाद में हवाई जहाजों के इंजन के दलाल बन गए थे। वंश परंपरा सही सलामत है। नीरा की दोस्ती विदेश में ही गुजराती मूल के और फाइनेंस का काम करने वाले जनक राडिया से हुई और इस तरह नीरा शर्मा नीरा राडिया बनी। 1995 में काम की तलाश में नीरा राडिया भारत आईं। उस समय अहमदाबाद में टाइम्स ऑफ इंडिया के संपादक किंशुक नाग याद करते हैं कि नीरा राडिया ने उन्हें पहली मुलाकात में खुद को गुजरात की बहू बताया था। भारत में सबसे पहली नौकरी नीरा को सहारा समूह में मिली और सहारा एयर लाइन के गठन में नीरा ने काफी काम किया। फिर नीरा राडिया सिंगापुर एयर लाइन, केएलएम और यूकेएएल की भारत प्रतिनधि बन गई। पांच साल में इतना पैसा आ गया था कि सन 2000 में बहन करुणा मैनन के साथ मिल कर क्राउन एयर के नाम से विमान सेवा शुरू की। सौ करोड़ रुपए के विदेशी निवेश की अनुमति भी ले ली लेकिन बात कहीं जा कर अटक गई। अगले साल दलाली और जनसंपर्क की कंपनी वैष्णवी कम्युनिकेशंस शुरू की और आखिरकार चार और कंपनियां बना डाली। 1990 में टाटा पर जादू किया और टाटा समूह की सारी 90 कंपनियों का विज्ञापन और जनसंपर्क अकाउंट वैष्णवी और सहयोगी कंपनियों पर आ गया। 2005 में मैजिक एयर के नाम से ललित मोदी की मोदीलुफ्त एयर लाइन खरीदने का सौदा हो चुका था मगर नीरा के पास ब्रिटिश पासपोर्ट था और भारत में विमान सेवा के निवेश के लिए भारतीय नागरिक होना जरूरी था। कम लोग जानते हैं कि बंगाल में जब टाटा नैनो फैक्टरी को ले कर बवाल मचा था तो नरेंद्र मोदी से जुगाड़ कर के यह फैक्टरी नीरा ही गुजरात ले गई थी। नीरा के कई चेहरे हैंं। नेताओं से वे उनके कद और उम्र के हिसाब से बात करती हैं। पत्रकारों और संपादकों से उनकी शैली में बात करती है। कभी वे स्कूल टीचर की मुद्रा में होती हैं तो कभी बहुत ही आत्मीय अपनेपन के तरीकों में, हिंदी में गालियां भी दे देती हैं, अंग्रेजी में व्यापार भी समझा देती है और रतन टाटा के साथ बात करते वक्त लंदन की किसी स्कूल की बच्ची की तरह तोतली हो जाती हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर आयोग के अनुरोध पर नीरा का फोन टेप करने का आदेश तत्कालीन गृह सचिव और शिवराज पाटिल के पालतू अफसर मधुकर गुप्ता ने दिया था। सबको हैरत होती है कि नीरा गुप्ता में ऐसा क्या जादू हैं कि वे इतने बड़े बड़े लोगों से इतने अधिकार से बात कर लेती है। नीरा की शुरूआती सफलता उनके पिता जी भी ने लिखी है जो 2003 तक जिंदा थे। भारत में वैष्णवी और दूसरी कंपनियां बन गई तो हरियाणा के एक बहुत बड़े राजनैतिक परिवार के बेटे धीरज सिंह को पार्टनर बनाया मगर बाद में तब 18 साल के अपने बेटे के अपहरण का इल्जाम भी धीरज पर लगवाया और उन्हें जेल भी भिजवा दिया। करुणा के अलावा नीरा के और किसी भाई बहन के बारे में ज्यादा जाना नहीं जाता मगर करुणा, इकबाल और सायरा मेनन के नाम इंग्लैंड के एक ही पते पर डूब चुकी कंपनियों के निदेशकों के तौर पर दर्ज हैं। फिलहाल करुणा सुदेश फाउंडेशन के नाम से एक न्यास भी चलाती है जिसमें सारा पैसा नीरा का है और नीरा न्यासी भी है। फाउंडेशन का ऑफिस बाराखंभा रोड पर गोपालदास टॉवर की पहली मंजिल पर है। इसी इमारत की इसी मंजिल पर टाटा टैली सर्विसेज का ऑफिस भी है और पांचवी मंजिल पर मुकेश अंबानी की रिलायंस के कई ऑफिस हैं। सब कुछ बहुत सुविधा और सहूलियत से है। सुदेश ट्रस्ट जनकल्याण के बहुत काम करता है और एक और ट्रस्ट के साथ मिल कर आयुर्वेदिक कॉलेज और आपदा नियंत्रण प्रबंधक संस्थान भी खोलने जा रहा है। नीरा बहुत जल्दी सफल हुई। अटल बिहारी वाजपेयी के दत्तक दामाद रंजन भट्टाचार्य उनके दोस्त हैं, वाजपेयी सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे अनंत कुमार तो हम दम भी हैं और दोस्त भी। उमा भारती के गुरु और पंजावुर के स्वामी जी के दरबार में तो अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उनकी फोटो मौजूद है। इसलिए 1996 में नीरा ने बहुत बड़ा फॉर्म हाउस दक्षिण दिल्ली में खरीद लिया था। जनसंपर्क की असली पार्टियां यही होती थी। ये पार्टियां पूजा पाठ से शुरू होती थी और शराब की महफिलों में खत्म होती थी। अनंत कुमार से दोस्ती हुई, दोनों लंबी विदेश यात्राओं पर गए और निश्चय ही वहां भागवत पाठ नहीं किया। अनंत कुमार ने मदद करने की पूरी कोशिश भी की। रतन टाटा उन दिनों एयरलाइन खोलना चाहते थे और सिंगापुर एयरलाइन के साथ तालमेल की बात थी जिसकी एजेंट नीरा थी। ऐसे नीरा और टाटा की दोस्ती हुई। जेट एयरवेज के नरेश गोयल ने पहले नीरा को खरीदने की कोशिश की मगर नीरा को नरेश गोयल और टाटा मे किसको चुनना है यह पता था और नरेश गोयल हमेशा के लिए नीरा के दुश्मन बन गए। प्रभु चावला यह सही कहते हैं कि नुस्ली वाडिया ने भी नीरा और टाटा के रिश्ते मजबूत करने का काम किया। जब टाटा की टाइम्स ऑफ इंडिया से आर पार की लड़ाई चल रही थी तो नीरा ही बीच में मध्यस्थ बनी। 2002 में अनंत कुमार ने हुडको वाला घोटाला कर डाला और मामला अब भी सर्वोच्च न्यायालय में हैं। कानून के पंडित और भाजपा के महारथी अरुण जेटली भी नीरा राडिया को कतई पसंद नहीं करते। 2004 में जब भाजपा सरकार से हट गई तो नीरा को नए दोस्तों की जरूरत पड़ी। टाटा टैली सर्विसेज के बहाने नीरा ने राजा से दोस्ती बढ़ाई और कहा जाता है कि जिस दिन राजा ने शपथ ले कर संचार भवन में कदम रखा था उसी दिन उनके पास उपहार का एक नकद बक्सा पहुंचा, जिसे उन्होंने फौरन करुणानिधि तक पहुंचा दिया। मधु कोड़ा से नीरा की दोस्ती थी मगर जब 1500 करोड़ देने का सवाल आया तो नीरा ने अफसरों से सस्ते में काम करवा लिया। उद्धव ठाकरे से भी नीरा की दोस्ती है, नरेंद्र मोदी से तो दोस्ती वे प्रमाणित कर चुकी हैं और कुल मिला कर नीरा राडिया इस बात का प्रतीक हैं कि दलाली के इस खेल में अभियुक्त सिर्फ नीरा नहीं हैं बल्कि भाजपा जैसी चरित्रवान पार्टी और कांग्रेस जैसी आजादी दिलवाने वाली पार्टी दोनों इस जुर्म में बराबर के शरीक है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें