आरुषि हत्याकांड : एक और नया पैंतरा
आरुषि और हेमराज का कातिल कोई गोल्फर हो सकता है। ये दावा सीबीआई की उस नई तफ्तीश पर आधारित है जिसके मुताबिक देश के सबसे सनसनीखेज हत्याकांड में गोल्फ क्लब यानी गोल्फ खेलने वाली स्टिक का अहम रोल है। अपनी तफ्तीश में सीबीआई की नई टीम ने पाया है कि आरुषि-हेमराज के सिर की हड्डी जिस हथियार से तोड़ी गई, दरअसल वो हथियार नहीं बल्कि गोल्फ क्लब यानी गोल्फ खेलने वाली स्टिक ही है। दरअसल आरुषि-हेमराज हत्याकांड में दो साल की तफ्तीश के बाद सीबीआई के हाथ एक बड़ा सुराग लगा है। ये सुराग कत्ल के तरीके से जुड़ा है, कत्ल के हथियार से जुड़ा है। एक बार फिर उसने इन सवालों पर गौर किया।
- क्या कातिल आरुषि का कोई करीबी है?
- क्या कत्ल का हथियार घर में था या बाहर से लाया गया था?
- क्या कत्ल को एक से ज्यादा लोगों ने अंजाम दिया?
बेहद बारीकी से आरुषि और हेमराज के हर जख्म की फिर से जांच शुरू हुई। हर फॉरेंसिक साक्ष्यों पर भी नजर जमाई गई। आरुषि-हेमराज के कत्ल के तरीके पर फिर से गौर किया गया। इनमें सबसे अहम थे उनके जिस्म पर बने घाव। क्योंकि सीबीआई को इनके जरिए ही आला-ए-कत्ल तक पहुंचने का रास्ता दिखा। नोएडा के जलवायु विहार के फ्लैट नंबर 32 में 15-16 मई की रात आरुषि और हेमराज का कत्ल हुआ था। कत्ल कैसा हुआ इसका खुलासा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने किया। पहले दोनों के सिर पर किसी भारी चीज से जोरदार वार किया गया जिससे उनके सिर की हड्डी टूट गई। उनकी मौत के लिए ये वार ही काफी था। लेकिन इसके बाद भी कातिल ने दोनों की गर्दन सर्जिकल नाइफ जैसी धारदार चीज से काट डाली। नोएडा पुलिस ने कत्ल के तरीके को ध्यान में रखकर शुरुआती जांच में ही कहा था कि कातिल या तो डॉक्टर है या फिर कसाई। इन सभी बातों को मद्देनजर रखते हुए सीबीआई ने केस को फिर से बुनना शुरू किया। सीबीआई के सामने सबसे बड़ी चुनौती आज भी है आला-ए-कत्ल को तलाशना। यानि उस हथियार या उस चीज का पता लगाना जिसके जरिए कत्ल किया गया। आला-ए-कत्ल की तलाश में सीबीआई ने आरुषि और हेमराज के जख्म की एक बार फिर बेहद बारीकी से जांच की। इसमें सीबीआई की नई टीम ने नए फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की मदद ली। नए सिरे से हर जख्म का गहन अध्यन किया गया। इस जांच में सीबीआई की टीम इस नतीजे पर पहुंची कि दोनों के सिर पर वार, हथौड़े से नहीं किया गया। जैसा कि नोएडा पुलिस की शुरुआती जांच में कहा जा रहा था। दोनों के सिर पर खुखरी के बट से भी हमला नहीं किया गया। ये सीबीआई की शुरुआती जांच की थ्यौरी थी। अब सीबीआई के सामने ये चैलेंज था कि वो उस हथियार का पता लगाए जिसके जरिए सिर पर वार किया गया। ऐसा वार जिससे एक झटके में ही सिर की हड्डी टूट गई। सीबीआई की नई टीम ने इस घाव का और घाव करने वाले हथियार का राज जान लिया है। सीबीआई ने आरुषि और हेमराज के सिर पर बने जख्मों को मापा। घाव के हिसाब से और जख्म के माप के हिसाब से हर हथियार को उससे जोड़ कर देखा गया। आखिरकार लंबी छानबीन और तफ्तीश के बाद सीबीआई की टीम इस नतीजे पर पहुंची है कि आरुषि और हेमराज के सिर पर गोल्फ क्लब से वार किया गया। गोल्फ क्लब यानि गोल्फ खेलने वाली छड़ी जो लोहे की होती है। अब सवाल ये है कि आखिर कौन था आरुषि के आसपास जो गोल्फ खेलने का शौकीन हो। जाहिर है गोल्फ खेलने का महंगा शौक घरेलू नौकर तो पाल नहीं सकते। सीबीआई की शक की सुई फिर आरुषि के पारिवार के सदस्य और पारिवारिक मित्रों पर ही टिक गई है।
शक के दायरे में गोल्फ का शौकीन :
कहते हैं कि कातिल कितना भी शातिर क्यों न हो मौका-ए-वारदात पर वो कोई न कोई ऐसा निशान छोड़ जाता है जो आखिरकार उसे कानून की गिरफ्त में पहुंचा ही देता है। दो साल बाद ही सही, यही इस केस में भी होता दिख रहा है। केस का कत्ल करने की भरपूर कोशिश हुई। लेकिन नए सुराग के सहारे अब सीबीआई आरुषि के उस करीबी को घेरने में जुटी है जो गोल्फ का शौकीन है। क्या देश के सबसे सनसनीखेज हत्याकांड को एक गोल्फर ने अंजाम दिया? सीबीआई की तफ्तीश अब इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। अब सीबीआई की नजर एक बार फिर आरुषि के परिवार और राजेश तलवार के दोस्तों पर टिक गई है। यानि कातिल घर का सदस्य भी हो सकता है या फिर पारिवारिक मित्र भी। इस मामले में सीबीआई ने अब एक बार फिर उन 8 संदिग्ध लोगों से पूछताछ का सिलसिला शुरू कर दिया है। जिनकी सूची नोएडा पुलिस ने बनाई थी। इनमें से आरुषि के माता-पिता से चंद रोज पहले ही सीबीआई ने देहरादून में लंबी पूछताछ की। 8 संदिग्ध लोगों में राजेश और नुपुर तलवार के अलावा उनके दोस्त भी शामिल हैं। सीबीआई सभी से जल्द ही बेहद लंबी पूछताछ करने वाली है। इस दौरान कातिल गोल्फर की तलाश में जुटी सीबीआई को ये जानकारी भी मिल गई है कि आरुषि के परिवार का एक नजदीकी सदस्य गोल्फ का बेहद शौकीन है। ये शख्स नोएडा गोल्फ कोर्स का मेंबर भी है। हर रविवार को ये नोएडा गोल्फ कोर्स में गोल्फ खेलने जाया करता था। यही नहीं, कत्ल से पहले रविवार को अक्सर लंच भी नोएडा गोल्फ कोर्स में ही किया करता था। सूत्रों के मुताबिक इस शख्स के गोल्फ किट से गोल्फ खेलने वाली एक स्टिक गायब है। ये गोल्फ स्टिक बेहद संदिग्ध तरीके से गायब हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस बार भी सीबीआई आला-ए-कत्ल के लिए भटकती रहेगी। या फिर उसे वो उस गोल्फ स्टिक को ढूंढने में कामयाब हो सकेगी। जाहिर है कोई भी कातिल कत्ल का हथियार मौका-ए-वारदात पर नहीं छोड़ेगा। ऐसे में घर से गोल्फ स्टिक का गायब होना कोई हैरत की बात नहीं है। लेकिन चंद बातें हैं जो ये साफ करती हैं कि कातिल बेहद शातिर है। सिर पर वार करने के लिए गोल्फ स्टिक का चुनाव ही इसका प्रमाण है। कोई भी जांच टीम गोल्फ स्टिक के बारे में जल्दी नहीं सोच सकती। सीबीआई को आला-ए-कत्ल का सुराग मिल गया है। अब इंतजार इस बात का है कि ये सुराग सबूत में तब्दील हो। यही सीबीआई की सबसे बड़ी चुनौती होगी। अगर उसने इस सुराग को सबूत बना दिया तो उसपर पिछले दो बरस से लग रही सारी तोहमत धुल जाएगी। सीबीआई की जांच की सूई गोल्फ क्लब यानी गोल्फ स्टिक की तरफ यूं ही नहीं गई। दरअसल सीबीआई की नई टीम ने नोएडा पुलिस की 187 पन्नों की केस डायरी पढ़ी और इस नतीजे पर पहुंची कि कातिल तक पहुंचने का सिर्फ एक ही तरीका है पोस्टमार्टम रिपोर्ट। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने कत्ल के वहशियाना तरीके का खुलासा किया। आरुषि की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक सिर के बाईं तरफ किसी भारी चीज से वार किया गया था, जिसकी वजह से उसके सिर की हड्डी टूट गई और उसके सिर पर करीब चार इंच गहरा घाव बन गया। यही नहीं, करीब छह इंच का सूजन भी आरुषि के सिर पर था। सूजन की वजह थी चोट के आसपास खून के थक्के का जमना। इसके अलावा आरुषि के सिर पर चोट के और भी दो गहरे घाव थे। आरुषि के सिर पर किया गया वार ही उसकी मौत के लिए काफी था। लेकिन कातिल ने उस भारी चीज से आरुषि के सिर पर चोट करने के बाद उसका गला भी रेत दिया। कत्ल का यही तरीका इस परिवार के घरेलू नौकर हेमराज के साथ भी अपनाया गया। खास बात ये कि दोनों ही मामलों में कातिल ने कत्ल करने से पहले सिर पर वार किया। हेमराज की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक हेमराज के सिर पर भारी चीज से जोरदार वार किया गया था। सिर के पिछले हिस्से में जबर्दस्त वार से सिर की हड्डीटूट गई थी। यही नहीं हेमराज के सिर के अगले हिस्से पर बाईं ओर भी खरोंच के साथ-साथ सूजन मिला था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की इन जानकारियों की गहन पड़ताल ने अंधेरे में तीर मार रही सीबीआई को कातिल तक पहुंचाने में बेहद अहम रोल निभाया। इस चोट ने ही ये साफ किया कि कातिल ने गोल्फ खेलने वाली स्टिक से दोनों के सिर पर हमला किया। सीबीआई ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि गोल्फ क्लब किस किस्म का था। क्योंकि गोल्फ क्लब यानि गोल्फ खेलने वाली स्टिक दरअसल तीन तरह की होती है। जिसे अलग-अलग शॉट के हिसाब से इस्तेमाल किया जाता है।
1- वुड्स :- यानि वो गोल्फ क्लब या स्टिक जिसका इस्तेमाल लंबे शॉट खेलने में किया जाता है, इसका हेड यानि बॉल को मारने का हिस्सा ज्यादातर स्टील का बना होता है। इसका सिर पर एक वार आदमी का काम तमाम कर सकता है।
2- आयरन :- जैसा कि नाम से जाहिर है ये लोहे का बना होता है। मिड शॉट्स खेलने में इस्तेमाल होता है। काफी मजबूत होता है। सिर पर वार किया जाए तो सिर टूटने में कोई मुश्किल ना आए।
3- पटर :- इसका इस्तेमाल गोल्फ की बॉल को कप यानि छेद तक पहुंचाने में होता है। इसका भी निचला हिस्सा ज्यादातर लोहे से बना होता है। इसका वार भी जानलेवा साबित हो सकता है।
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