नागपुर की सेहत सुधारने की कवायद तेज हो गई है। रंगत दिखी, जब मनपा की विशेष सभा में स्थायी समिति अध्यक्ष संदीप जोशी ने वर्ष 2010-11 का प्रस्तावित बजट 1187.33 करोड़ रु. का पेश किया। खास बात यह कि वर्ष 2010-11 के लिए 375 लाख रु. का चुंगी कर संकलन करने का लक्ष्य रखा गया है। चुंगी चोरी रोकने के लिए प्रमुख मार्गों पर नाकाबंदी, चौकियों का निर्माण व बंदोबस्त में बढ़ोत्तरी की जाएगी। मनपा का यह फैसला अपने आप में महत्वपूर्ण है। उपर से चुंगी विभाग के कर्मचारियों को लक्ष्य पूरा करने पर पुरस्कृत करने की योजना तो और रामबाण है। मगर नीति, नीयत और नियंता को ध्यान में रखने की जरूरत है। महाभारत के पात्र शान्तनु गंगा पर मोहित हुए और उससे विवाह करना चाहते थे। गंगा ने शर्त रखी- तुम मुझसे सवाल नहीं करोगे। जिस दिन सवाल किया, मैं तुम्हे छोड़कर चली जाऊंगी। उसकी सन्तानें होती रहीं और वह हर नवजात को नदी में प्रवाहित करती रही। अन्त में शान्तनु का धीरज छूट गया। अंतिम बच्चे को प्रवाहित करने से पहले शान्तनु ने पूछ ही लिया- तुम ऐसा क्यों कर रही हो? गंगा ने उसी वक्त शान्तनु का साथ छोड़ दिया। कई गंगा प्रवाहित हैं। उनसे सवाल नहीं कर सकते। वे अपनी शर्तो पर साथ होने के आदी हैं। मनपा को भी शर्तों के इस जद से बाहर आना होगा। प्रापर्टी टैक्स एकमुश्त रकम भरने पर विशेष छूट का प्रावधान भी रंग ला सकता है। इसके अलावा विभागीय स्तर पर शिकायत निवारण केंद्र की स्थापना से आम लोगों को काफी राहत मिलेगी। लापरवाही की जिम्मेदारी निश्चित करके विश्वसनीयता पर भारी बल दिया गया समीचिन है। जलापूर्ति योजना की शिकायतों के अंबार से मनपा के विभागीय अधिकारी खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। आगामी वर्षों में पानी की संपूर्ण व्यवस्था, स्वच्छता का ध्यान रखा गया है। ऐसा लगता है कि मनपा ने इस क्षेत्र पर विशेष तवज्जो देने का प्रयास किया है। नागपुर की सड़कों की तूती देश में बोलती थी, मगर हाल के वर्षों में अपने हाल पर यह रोने को आमादा है। अब शहर के विकास में गति प्रदान करने के लिए नई बड़ी सड़कें, आरओबी, आरयूबी व फ्लाय ओवर जैसे नये कार्यों को हाथ में लिया गया है, जो नि:संदेह काबिलेतारीफ है। यहां तक कि पं. दीनदयाल उपाध्याय विकास योजना अंतर्गत प्रत्येक वार्डों के आंतरिक सड़कों को सुधारने के लिए 15 लाख. रु. का प्रावधान किया गया है। शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए 10.45 करोड़ तो महापुरुषों के पुतले के निर्माण के लिए 80 लाख रु. का प्रावधान किया गया है। नागपुर दर्शन के लिए अहम योजना बनाई गई है। कुल मिलाकर विकास की बेहतर झांकी का प्रस्ताव फीका तो नहीं, मगर अमल में खलल फीका ही नहीं, इसे कड़वा भी कर सकता है। आम लोगों की हालत पहले से ही काफी पतली है। आधारभूत सविधाओं की बानगी से काम नहीं चलने वाला। घर से कदम निकालने के साथ ही पैसे बटुए से निकलना शुरू हो जाते हैं। घर पहुंचते-पहुंचतेे इनके अवशेष कभी-कभी कभार ही दिख पाते हैं। आवागमन इतना महंगा और बेहिसाब है कि कदम वहीं के वहीं ठिठक जाते हैं। जरूरत है स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर आवागमन को बेहतर और आम बनाने की ताकि लोगों के बीच राहत भरा संदेश जाए और मनपा के प्रयासों की गली-कूचों में भी सराहना हो। जानवर के लिए अपने शरीर से जुड़ी हुई आवश्यकताओं को पूरा करना ही जीने का उद्देश्य बना रहता है। अगर वो पूरी हो रही हों तो उससे ज्यादा की उसे आवश्यकता महसूस नहीं होती, जबकि इंसान के लिए शरीर से जुड़ी हुई आवश्यकताओं का ही पूरा होना पर्याप्त नहीं होता। इंसान को उससे ज्यादा की आवश्यकता महसूस होती है। जैसे स्वयं में विश्वास तथा सम्मान पूर्वक जीने की चाह, सुखपूर्वक जीने की चाह, जीने के हर आयाम में समाधान की चाह, स्वयं में तथा परिवार में समृद्धि की चाह आदि-आदि। मनपा को ध्यान में रखना होगा कि वह बस्ती को इनसान के रहने और जीने के लायक बनाने के प्रति प्रतिबद्ध है। वह कैसे पूरा हो, यह भी मनपा की ही समस्या है।
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