गुरुवार, 29 अप्रैल 2010
महिला राजनयिक ने पोत दी चेहरे पर कालिख
अपने ही देश के खिलाफ जासूसी कर महिला राजनयिक ने उन तमाम उपमाओं पर कालिख पोत दिया है, जिससे भारतीयता की पहचान है। हालांकि इस जासूसी कांड का खुलासा इसी हफ्ते होने वाले सार्क सम्मेलन में भारत-पाक प्रधानमंत्रियों की संभावित मुलाकात से पहले होना अपने आप में बड़ी सफलता है। संभवत: ऐसा पहली बार है जब विदेश सेवा की किसी महिला अधिकारी को इस्लामाबाद में सेवा के दौरान कथित तौर पर पाक के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 53 वर्षीय यह महिला अफसर उस समय जांच के घेरे में आई जब इसने अपनी जिम्मेदारी से बाहर के क्षेत्रों में अतिरिक्त रुचि दिखाई। माधुरी के पास से सात अहम दस्तावेज और दो मोबाइल जब्त किए गए हैं। गहन जांच चल रही है। नए नए खुलासे हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस्लामाबाद में माधुरी अपनी नौकरी से खुश नहीं थी और लगातार पाकिस्तानी अधिकारियों से मुलाकात करती थी। यही नहीं ई-मेल के जरिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को भारत के खिलाफ सूचनाएं भी भेजती थी। इस महिला पर भारत के अफगानिस्तान प्लान को लीक करने का भी आरोप है। अभी तक की जांच के मुताबिक माधुरी ने मुंबई हमले से संबंधित रिपोर्ट भी पाकिस्तान की लीक की है। तीन चार और अधिकारी हैं, जिनपर जांच अधिकारियों को शक है, लेकिन इस बारे की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। माधुरी और आईएसआई के एजेंट मेजर राणा के ताल्लुकात काफी गहरे बताए जाते हैं, वह इसको सभी सूचनाएं देती थी। राणा इस समय पाक एजेंसी का सबसे महत्वणूर्ण एजेंट है और 2007 से ही आईएसआई की रीढ़ का काम कर रहा है। क्या कारण हो सकते हैं? पूरी तौर पर खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन इसके पीछे प्यार और पैसे की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। विदेश मंत्रालय में भारतीय विदेश सेवा ग्रेड बी की 53 वर्षीय अधिकारी माधुरी की गिरफ्तारी चार दिन पहले पूर्वी दिल्ली से हुई थी। माधुरी ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने की बात मान ली है। बताया कि सेना व सुरक्षा से जुड़ी अहम सूचनाएं वह रॉ के इस्लामाबाद केंद्र प्रमुख आरके शर्मा से लेती थी। फिर उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई तक पहुंचाया जाता था। रणनीतिक मामलों में बेहद रुचि के ने उसकी पोल-खोल कर रख दी। भारत-अमेरिका के बीच सामरिक व रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए साउथ ब्लाक में तैयार की गई रणनीति के अहम पहलू भी उसी ने आईएसआई तक पहुंचाए थे। हर मुल्क में स्थित भारतीय उच्चायोगों और दूतावासों में तैनात आईएफएस अधिकारियों को संवदेनशील मामलों से जुड़ी ब्रीफिंग की जाती है। किसी भी मामले में उन्हें हर चाही गई जानकारी भी उपलब्ध कराई जाती है। खासकर, पाकिस्तान और चीन जैसे मुल्कों में भारतीय मिशनों के संबंध में वहां तैनात अधिकारियों को अपडेट रखने पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। इसी क्रम में गुप्ता को जानकारियां दी जाती रहीं। विदेश मंत्रालय अब अपने स्तर पर सर खपा रहा है कि किस-किस मामले से जुड़ी जानकारी गुप्ता को दी गई थीं। दाग तो लग ही गए हैं, इसे खाज बनने से रोकना होगा क्योंकि अब इंतेहा हो चली है।
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