मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

तिलिस्म तार-तार

तेज हवा के झोंकों की तरह आईपीएल विवाद आया और छोड़ गया ढेरों सारे सवाल। विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर की इस विदाई की उम्मीद खुद थरूर को भी नहीं होगी। अब शिकंजा ललित मोदी की इर्द-गिर्द कसते जा रहा है। ललित मोदी से जुड़े गड़े मुर्दे कब्र से एक-एक कर बाहर आने लगे हैं। आईपीएल का छाया सुरूर अपनी रौ में है। थरूर तो डूबे ही, न जाने कितने और डूबेंगे। आईपीएल से मोदी की विदाई भी लगभग तय ही है। समझा जाता है कि आईपीएल का तीसरा सीजन खत्म होते ही मोदी को किनारे लगाने की कार्रवाई शुरू हो जाएगी। सट्टेबाजी और हवाला जैसे मामले उनकी आईपीएल चेयरमैन की कुर्सी छीन सकते हैं। संकट तो थरूर-मोदी विवाद के समय से ही गहराने लगा था, लेकिन लोकसभा में सोमवार को जब विभिन्न राजनीतिक दलों ने आईपीएल में बड़े पैमाने पर काला धन लगने का आरोप लगाते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की, तो यकायक इस पर पुष्टि की मुहर भी एक तरह से लग गई। राजनीतिक दलों का साफ कहना है कि इस मामले में विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर का इस्तीफा काफी नहीं है, बल्कि आईपीएल पर प्रतिबंध लगाया जाए और इसके धन के स्त्रोतों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाए। टूर्नामेंट के फौरन बाद 26 और 27 अप्रैल को आईपीएल के गवर्निंग काउंसिल की बैठक होने वाली है। इस बैठक से पहले ललित मोदी का विरोधी खेमा मजबूत दिख रहा है। क्रिकेट बोर्ड की कार्यसमिति की बैठक 24 अप्रैल की बजाय दो मई को होगी जिसमें ललित मोदी के खिलाफ लगाए गए आरोपों और कोच्चि फ्रेंचाइजी मसले पर चर्चा होगी। कार्यसमिति की बैठक 25 अप्रैल को आईपीएल खत्म होने के बाद उसकी गवर्निंग काउंसिल की बैठक के पश्चात होगी। ज्यादातर बड़े अधिकारी इस मामले में फौरन कार्रवाई चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक आईपीएल की बैठक में ही ललित मोदी की कमिश्नर और चेयरमैन के पद से छुट्टी हो सकती है। इसके लिए बीसीसीआई को कानून में बदलाव भी करने होंगे। उद्योगपति ललित मोदी ने क्रिकेट को अपने नजरिए से देखा। मोदी की नजर से क्रिकेट देखने वालों की धीरे-धीरे अपनी ही दुनिया बनने लगी। इस जमात ने क्रिकेट का भरपूर दोहन किया और यहां तक कि खिलाडिय़ों तक की बोली लगवा डाली। बाजार सजे, खरीददारों ने बढ़-चढ़ कर बोलियां लगाई। खिलाड़ी अनाडिय़ों की तरह कई फाड़ हो गए। लेकिन कुछ लोग मालामाल हो गए। खुद ललित मोदी आज ऐसी जिंदगी जी रहे हैं कि जिसकी कल्पना करना भी किसी के लिए मुश्किल हो सकता है। उनके पास प्राइवेट जेट, लग्जरी यॉट (नौका), मर्सिडीज एस क्लास की कई कारें और कई बीएमडब्लू कारें हैं। इतनी संपत्ति है कि लोगों की आंखें देखकर पथरा सकती हैं। ज्यादा दिन नहीं, मात्र तीन सालों की ही करामात है यह। इसलिए मोदी सरकार की निगाह में भी काफी दिनों से हैं। खासकर जिस तरह से वह करोड़ों-अरबों रुपये के टूर्नामेंट को आयोजित कर रहे हैं। सदन में भी जिस तरह से वामपंथी दलों, भाजपा, जद यू, राजद और बसपा आदि के सदस्यों ने आईपीएल में स्विस बैंक, दुबई और मारिशस के रास्ते बड़े पैमाने पर काले धन को सफेद बनाकर धन शोधन आरोप लगाया है, उससे मामले की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव सरीखे कई संप्रग से बिफरे नेता मौके की ताक में हैं और वे चाहते हैं कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) को खत्म करने के साथ ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर केंद्र को तत्काल अपना नियंत्रण कर लेना चाहिए। बीसीसीआई की अकूत कमाई पर पहले से ही कितनों की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है। ललित मोदी बीसीसीआई के पूरे समर्थन की बात भले ही कहें लेकिन गत दिनों गर्वनिंग काउंसिल के बाकी सदस्यों की अनौपचारिक मीटिंग में ललित मोदी को शामिल नहीं किया जाना, बहुत कुछ कह गया। उस दौरान बोर्ड अध्यक्ष शशांक मनोहर, राजीव शुक्ला, निरंजन शाह, चिरायु अमीन, अरुण जेटली और बोर्ड सचिव एन.श्रीनिवासन के बीच आईपीएल से जुड़े विवादों और ललित मोदी के बारे में ही चर्चा हुई थी और उसी समय साफ हो गया था कि गर्वनिंग काउंसिल की मीटिंग से पहले मोदी विरोधी गुट एक रणनीति तैयार कर रहा है। मोदी घिर चुके हैं। उनका तिलिस्म तार-तार हो गया है। नि:सेदह क्रिकेट को धर्म-ईमान और खिलाडिय़ों को भगवान मानकर पूजने वाले लोगों का भ्रम टूट की कगार पर है। रही -सही कसर मोदी की गरिमा की आहुति के साथ ही पूरी हो जाएगी, ऐसी संभावना बन रही है।

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