सोमवार, 12 अप्रैल 2010
कबूल है, कबूल है, कबूल है...
आखिरकार सानिया मिर्जा और शोएब मलिक का निकाह हो ही गया। अंतिम क्षणों तक गोपनीय बनाकर रखा गया शोएब मलिक और सानिया मिर्जा का निकाह विगतकाल सोमवार को दोपहर 1 बजे हैदराबाद के होटल ताज कृष्णा में पढ़ा गया। मेहर की रकम 61 लाख रुपये रखी गई। कई नाटकीय मोड़ को पार करने के बाद नाटकीय ढंग से ही निकाह की घड़ी अचानक आ धमकी। भारत में इस शादी को सिर्फ मीडिया वालों ने परोसा। हफ्ते भर से लोगों को घूंटी पिलाई जाती रही। नागवार गुजरता रहा, लेकिन लोग अगली जानकारी के बारे में बेताब रहे। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में हर कोई खुश देखा गया। गोया ऐसा लग रहा था कि वे शादी की दुआएं नहीं कर रहे थे, जंग में भारत को पटखनी दे रहे पाक की हौसलाआफजाई कर रहे थे। पाक मीडिया ने तो नए शब्द का ईजाद भी कर लिया-शोएनिया, शोएनिया, शोएनिया...। मतलब आधा सानिया, आधा शोएब। यह सच है कि प्यार सरहदों की परवाह नहीं करता। सरहद ही क्या वह किसी भी हद की परवाह नहीं करता। चूंकि मामला भारत और पाकिस्तान के साथ जुड़ा था, इसलिए सट्टेबाजों की भी पौ-बारह रही। इसी क्रम में एक और शादी की बात। चर्चा है कि विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर अपनी दूसरी पत्नी से तलाक मिलते ही तीसरी शादी रचाएंगे। उनकी भावी पत्नी का नाम सुनंदा है और वे एक कश्मीरी परिवार से हैं। दुबई में रहने वाली सुनंदा पेशे से ब्यूटीशियन हैं और एक स्पा चलाती हैं। थरूर के जीवन में आई नई महिला के बारे में दिल्ली के गलियारों में जोरों पर चर्चाएं हैं। मगर हम भारतवासियों को इसकी जानकारी मिलने के बाद कितनी उत्सुकता बढ़ रही है? मामला भी ऐरे गैरे का नहीं, एक मंत्री का है और वह भी काफी विद्वान मंत्री का। कोई प्रतिक्रिया नहीं। शायद गम भी नहीं, खुशी भी नहीं। इसलिए कि इसमें कहीं पाकिस्तान का नाम नहीं है और होता भी तो परवाह नहीं होती। भारतीय परंपरा में अक्सर देखा जाता कि लड़के की शादी नापसंद भी हो तो कालांतर में घाव भर जाता है। लड़कियों की शादी नापसंद हो तो पीढिय़ां ताने-उलाहने सुनती हैं। और संभवत: यही कारण है कि करोड़ों भारतीय दिलों पर राज करने वाली सानिया को आशीर्वाद देने वाले हाथों की कमी हो गई। पाकिस्तान लबरेज है। उसे अनचाही मुराद मिल गई। खेल जगत के इन दो सितारों के मिलन से पाकिस्तान का जनसंख्या कल्याण विभाग तो इतना खुश है कि अभी से ही भावी उम्मीदें पाले हुए है। विभाग चाहता है कि सानिया और शोएब की यह जोड़ी पाकिस्तान में फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम के प्रचार-प्रसार का हिस्सा बने। उनकी यह ग्लैमरस बहू मुल्क की बढ़ती आबादी को रोकने में मदद करे। पाकिस्तान में जनसंख्या विभाग के अधिकारी तो इस बारे में खुलकर अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। स्थानीय अखबार डॉन के अनुसार जनसंख्या कल्याण मंत्री फिरदौस आशिक अवान ने सानिया और शोएब के सामने फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम का ब्रैंड एम्बैसडर बनने का प्रस्ताव भी दे दिया है। अब इन दोनों पर है कि वे इस प्रोग्राम का हिस्सा बनते हैं या नहीं। खास बात यह है कि अवान भी सियालकोट से आती हैं जहां के रहने वाले शोएब हैं। अवान ने कहा, अगर ये दोनों स्टार इस प्रोग्राम का हिस्सा बनते हैं तो पाकिस्तान में फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम को बहुत फायदा होगा। पाकिस्तान की जनसंख्या कल्याण मंत्री फिरदौस आशिक अवान ने तो यहां तक कह दिया कि वह शादी के बाद शोएब और सानिया मिर्जा को यहां पहुंचने पर सोने का मुकुट गिफ्ट स्वरूप प्रदान करेंगी। सानिया ने एक बार कहा था, टेनिस खिलाडिय़ों का करियर बहुत लंबा नहीं होता है। हमारा करियर 24-25 साल पर खत्म होने लगता है। 21-22 की उम्र आपको ऊंचाई पर ले जाने वाली होती है। उनके पूर्व में दिए इस बयान पर गौर करें तो पाएंगे कि सानिया का शुरू से ही बहुत आगे तक खेलने का इरादा नहीं था। इसीलिए तो इसी वर्ष पहले सोहराब से सगाई और जब सगाई टूटी तो शोएब से निकाह करने का उन्होंने फैसला किया। उनके ही शब्दों में, मैंने स्टेफी ग्राफ के बारे में खूब सुना था। उनकी कथा परिकथा-सी लगती है। मैं भी ऐसा ही बनना चाहती हूं। यही वजह है कि जाने-अनजाने सानिया स्टेफी के ही नक्शे-कदम पर परिवार बसाने के लिए चल पड़ी हैं। फरवरी में सानिया व शोएब की मुलाकात दुबई में हुई। दोनों आएशा के जरिए पहले ही मिल चुके थे इसलिए दोनों का दुबई में अच्छा वक्त बीता। सानिया-शोएब के बीच वहीं प्यार पनपा और दोनों ने निकाह करने का फैसला कर लिया। दुबई से आने के बाद दोनों ने अपने-अपने परिवारों को अपना फैसला सुनाया। बाद में दोनों के परिवार ने आपसी बातचीत में निकाह पक्की कर दी। अब शादी के बाद दोनों का इरादा दुबई में ही रहने का है। दुबई में शोएब का एक मकान है। दोनों का दिल टूटा हुआ था इसलिए साथ ने दोनों के लिए मरहम का काम किया। दो देशों की आबोहवा में घुटन पैदा हो गई है। दिल तो कब का टूटा हुआ है। दोनों की जोड़ी सरहद के इस पार व उस पार के दिलों के लिए भी मरहम का काम कर जाए तो किसी आतंक की परवाह नहीं। इस पार से उस पार सिर्फ प्यार ही प्यार। बरसों से बिछड़े दो मुल्कों के लिए शायद इससे बड़ी सौगात कुछ नहीं।
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