मंगलवार, 30 जुलाई 2013

गरीबों का अनाज खा रहे दुकानदार

शहर युवक कांग्रेस द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को दिया जानेवाला अनाज दुकानदार ही हजम कर रहे हंै। जो आंकड़े इकट्ठा किए गए हं उस पर नजर डाले तो दुकानदारों ने 50 फीसदी सरकारी अनाज बाजार में ऊंचे दाम पर बेच दिया। बीपीएल कार्डधारक को 20 किलो गेहंू, 15 किलो चावल, 500 ग्राम शक्कर व साढे तीन लीटर केरोसिन मिलना चाहिए।  जिला प्रशासन ने अब तक दुकानदारों पर कार्रवाई करने की जरूरत नहीं समझी।
युवक कांग्रेस ने राशन दुकानों से पूरा अनाज नहीं मिलने की शिकायतें मिलने के बाद पूर्व नागपुर में जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं लेकर लोगों को जागृत करने व उन्हें मिले राशन के बारे में जानकारी इकट्ठा की। लोगों के राशन कार्ड में दर्ज जानकारी का रिकार्ड तैयार किया गया। इसके बाद खाद्यान्न वितरण अधिकारी के कार्यालय से राशन वितरण का रिकार्ड लिया गया। दोनों रिकार्ड में कोई मेल नहीं बैठा। पूर्व नागपुर में 103 राशन दुकानें हैं। बीपीएल, एपीएल, अंत्योदय, अन्नपूर्णा व विधवा बीपीएल ऐसे 77195 राशन कार्ड है। राशन दुकानदारों ने बीपीएल कार्ड धारकों को मई माह में 20 की बजाय 10 किलो गेहंू, 15 की बजाय 8 किलो चावल, साढ़े तीन किलो की बजाय 1 लीटर केरोसिन दिया। इसी तरह साढ़े तीन लीटर केरोसिन सभी कार्ड धारकों को मिलना चाहिए, लेकिन आधे से ज्यादा कार्डधारकों को केरोसिन नहीं दिया गया। आंकड़ों पर गौर करे तो तीन माह में अकेले पूर्व नागपुर में ही ढाई करोड़ के माल की कालाबाजारी हुई है। पूरे शहर में 10 करोड़ से ज्यादा के माल की कालाबाजारी होने की संभावना है।
शहर युवक कांग्रेस के महासचिव बंटी शेलके व जुल्फिकार शानू ने इस संदर्भ जोन अधिकारी व खाद्यान्न वितरण अधिकारी को निवेदन दिया। रिकार्ड भी दिया गया, लेकिन किसी भी दुकानदार पर कार्रवाई नहीं हुई। गरीबों का अनाज डकारनेवाले दुकानदारों पर कार्रवाई करने के बारे में जिला प्रशासन मौन बना हुआ है। बंटी शेलके व जल्फिकार शानू ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शीघ्र सुधार नहीं होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी।
शहर भर के राशन दुकानों के सामने राशन के लिए लोगों की कतारें लगी रहती हंै। कार्ड धारक राशन नहीं मिलने, राशन कम मिलने, पिछले महीने का राशन खा जाने की शिकायतें करते रहते हैं। दुकानदार इन पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते। खाद्यान्न आपूर्ति विभाग औचक निरीक्षण करे तो सच्चाई पता चल सकती है। आपूर्ति विभाग अपने निरीक्षण में दुकानदारों को हर महीने क्लिन चिट देने का काम कर रहे है।




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