रविवार, 6 जून 2010

आईपीएल में पावर प्ले

सब कुछ हो रहा है। चोरी-छिपे नहीं डंके की चोट पर। बस थोड़ी सी मशक्कत यह करनी है कि जनता के आंखों में मुट्ठी भर धूल फेंक भर देना है। हो सके तो उसमें थोड़ी मिर्ची लगाकर, ताकि जनता आंखें मलती रहे। आरोप मढऩे में आसानी होगी। कह देंगे नशे के सुरूर में अनाप-शनाप बोल रहा था। हजारों करोड़ की बातें हो रही है। जनता जानती है, नहीं भी जानती है। लाखों करोड़ के सौंदे हो रहे हैं। जनता देख रही है, नहीं भी देख रही है। करोड़ों रुपए के एडवांस इनकम टैक्स भरे जा रहे हंै। चियरगर्ल्स नाच रही है। देर रात तक पार्टियां हो रही है। प्राइवेट जहाज उड़ रहे हैं। टीवी चैनलों पर पैसे की बारिश हो रही है। मगर जनता के पास प्रतिकार के दो शब्द नहीं। हैं भी तो उसकी परवाह किसी को नहीं। कहने वाले को पागल करार देने वाले हजारों चमचे मिल जाएंगे। आईपीएल और पवार परिवार को लेकर एक बार फिर विवाद गरम है। कहा जा रहा है कि आईपीएल फ्रेंचाइजी हासिल करने के लिए जिस कंपनी ने बोली लगाई थी, उसमें पवार का भी पैसा लगा हुआ है। दूसरी तरफ पवार परिवार लगातार इस बात को गलत बता रहा है। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार ने इस बात साफ इनकार किया कि वो या उनके परिवार का कोई भी सदस्य आईपीएल की नई टीमों के लिए हुई नीलामी में शामिल था। पवार ने कहा कि यह मामला कुछ दिन पहले भी उठाया गया था तब भी मैंने कहा था कि इससे हमारे परिवार का कोई लेना देना नहीं है। दरअसल, आईपीएल में सबसे बड़ा रुपैया है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पेचीदा गलियारों में, असलियत को झूठ और धोखे, लालच और राष्ट्रीय गर्व से अलग करना एक असंभव सा काम है। इस में पैसा क्रिकेट या राष्ट्रीय गौरव से अधिक अहमियत रखे हुए है। कौन हिस्सेदारी, कैसी हिस्सेदारी :एक अंग्रेजी अखबार ने ये दावा किया था कि पवार की कंपनी पुणे के लिए हुई नीलामी में शामिल थी। जबकि इससे पहले लगातार पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले इस बात से इनकार कर रहे थे। अखबार के मुताबिक पुणे की टीम के लिए बोली लगाने वाली एक कंपनी सिटी कॉर्पोरेशन में बीसीसीआई के पूर्व मुखिया शरद पवार की भी हिस्सेदारी है। पवार ने अखबार के इस दावे को निराधार बताते हुए कहा कि जिस कंपनी के इस बिडिंग में शामिल होने की बात कही जा रही है वो इस किसी भी तरह की बोली प्रक्रिया में शामिल ही नहीं थी। पवार ने कहा कि सिटी कार्पोरेशन के एमडी ने व्यक्तिगत तौर पर पुणे की टीम के लिए बोली लगाई थी। लेकिन वो टीम पाने में कामयाब नहीं हुए इसलिए मामला यहीं खत्म हो गया। इससे पहले मामला फंसता देख कंपनी के एमडी देशपांडे का कहना था कि उन्हें शरद पवार के शेयर होने की कोई जानकारी तक नहीं है। लेकिन कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के डाटाबेस में साफ साफ दर्ज है कि पवार परिवार के पास सिटी कॉर्पोरेशन के 16.22 फीसदी शेयर हैं। सिटी कॉर्पोरेशन के शेयर 10 लोगों के नाम से लिए गए हैं जिसमें कंपनी के एमडी देशपांडे उनकी पत्नी सोना और शरद पवार की कंपनी लेप फाइनेंस और नम्रता फिल्म एंटरप्राइजिज लिमिटेड के नाम शामिल हैं। जबकि नम्रता फिल्म इंटरप्राइजेज लिमिटेड और लेप फाइनेंस से शरद पवार का संबंध है इसका खुलासा खुद शरद पवार 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान दिए अपने एफिडेविट में भी कर चुके हैं। मालूम हो कि पुणे की टीम के लिए हुई नीलामी में सहारा समूह ने सबसे ज्यादा 1702 करोड़ की बोली लगाई थी। इसलिए सिटी कॉर्पोरेशन को पुणे की टीम नहीं मिली। इस पाकीजा को क्या नाम दें : पवार ने माना कि पुणे फ्रैंचाइजी के लिए सिटी कॉर्पोरेशन की ओर से बोली लगाई थी। पर उन्होंने बोली की प्रक्रिया में खुद या परिवार के शामिल रहने की बात को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि बोली पर्सनल लेवल पर लगाई गई थी और इसमें कंपनी का कोई निदेशक शामिल नहीं था। खबर में यह कहा गया है कि आईपीएल की पुणे फ्रैंचाइजी की बोली में पवार और उनके परिवार के सदस्य परोक्ष रूप से शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस सिटी कॉर्पोरेशन नामक कंपनी ने बोली लगाई थी उसके निदेशक मंडल में पवार, उनकी पत्नी और बेटी शामिल हैं।
बंसी पुकारे तेरा नाम :लैप फाइनैंस कंपनी और नम्रता फिल्म एंटरप्राइजेज शरद पवार (भारतीय कृषि मंत्री), उनकी पत्नी प्रतिभा पवार और बेटी सुप्रिया सुले (सांसद) की सौ फीसदी हिस्सेदारी वाली कंपनियां हैं। लैप में पवार परिवार के तीनों सदस्यों की बराबार हिस्सेदारी है, जबकि नम्रता फिल्म के 2000 शेयरों में से 1100 पवार की पत्नी के नाम हैं। खुद उनके नाम 652 और बेटी सुप्रिया के नाम 248 शेयर हैं। सिटी कॉरपोरेशन पुणे की कंस्ट्रक्शन कंपनी है। कंपनी के प्रबंध निदेशक अनिरुद्ध देशपांडे हैं। कंपनी के कुल 2.07 करोड़ शेयरों में लैप फाइनैंस के 25.6 लाख और नम्रता फिल्म के 8 लाख शेयर हैं। इन दोनों कंपनियों की सिटी कॉरपोरेशन में कुल हिस्सेदारी 16.22 फीसदी है। मार्च में सिटी कॉरपोरेशन ने पुणे आईपीएल की फ्रेंचाइजी हासिल करने के लिए 1,176 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। 21 मार्च को सहारा इंडिया ने 1,702 करोड़ रुपये में यह बोली जीती थी।
नहीं कर रहे यूं ही बदनाम : आईपीएल में पुणे की टीम के लिए कंस्ट्रक्शन कंपनी सिटी कॉर्पोरेशन ने 1176 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। इस कंपनी के 2 करोड़ 7 लाख शेयर में से 16.22 फीसदी शेयर शरद पवार के पास है और सिटी कॉर्पोरेशन में लैप फाइनेंस एंड कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड और नम्रता फिल्म एंटरप्राइजेज लिमि. का शेयर है। इन दोनों कंपनियों के मालिक शरद पवार, उनकी पत्नी प्रतिभा
मैं सच कह रहा हूं पवार ने कहा कि आईपीएल नीलामी में देशपांडे ने अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं के आधार पर हिस्सा लिया था। इस बोली में न तो उनके परिवार को कोई व्यक्ति शामिल था और न ही सिटी ग्रुप का इससे कोई संबंध था। पवार ने कहा कि इसके बाद नीलामी में टीम सहारा ग्रुप को मिली। उन्होंने अखबार में छपी खबरों पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि वे और उनका परिवार आज के अखबारों में हैडलाइंस में है। लेकिन यह गलत खबर है। पवार ने कहा कि जहां तक इस रिपोर्ट की बात है तो ऐसी बात दो महीने पहले भी मीडिया में आई थी। मैं कहना चहता हूं कि मेरा या मेरे परिवार का आईपीएल से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से कोई संबंध नहीं है। पवार ने स्पष्ट कहा कि सिटी कार्पोरेशन का नीलामी से कोई लेना-देना नहीं था। पुणे टीम के लिए लगाई गई बोली में सिटी कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक अनिरूद्ध देशपांडे शामिल थे। हालांकि पवार ने माना कि पुणे फ्रेंचाइजी के लिए सिटी कार्पोरेशन की ओर से बोली लगाई थी लेकिन उन्होंने बोली की प्रक्रिया में स्वयं या परिवार के शामिल रहने की बात को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि बोली व्यक्तिगत स्तर से लगाई गई थी और इसमें कंपनी का कोई निदेशक शामिल नहीं था। देशपांडे ने व्यक्तिगत स्तर पर इस नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। कंपनी ने इस संबंध में अपना पक्ष साफ कर दिया था। उसने अपनी विज्ञप्ति के माध्यम से साफ कर दिया था कि देशपांडे व्यक्तिगत स्तर पर बोली में शामिल थे। इससे कंपनी का कोई संबंध नहीं था। दागदार आईपीएल : आईपीएल को भारत ही नहीं दुनियाभर के क्रिकेटप्रेमियों का जबरदस्त समर्थन मिला। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के ताजा संकट के बारे में कोई क्या लिख सकता है, जब पहले से ही इसका अंदाजा हो? तीन साल पहले जिस धूमधड़ाके के साथ आईपीएल की शुरुआत हुई थी और एक ब्रैंड के रूप में लोगों ने इसे स्वीकार किया, उससे दुनिया भर में भारत की प्रतिष्ठा तो बढ़ी, लेकिन साथ ही क्रिकेट के इस स्वरूप से नाइत्तेफाकी जताने वालों को या तो नजरअंदाज कर दिया गया या फिर उन्हें चुप रहने के लिए कहा गया। बदकिस्मती से सच्चाई ये है कि हम अति हो जाने के बाद ही प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। किसी चीज की तारीफ या इसकी आलोचना करने से पहले इसकी अच्छाई या बुराई पर सोचना भी नहीं चाहते। आज आईपीएल दागदार है । मोदी की छवि राक्षस की बन गई। आईपीएल के पैरोकार घोटाले दर घोटाले के रहस्योदघाटन से सदमे की स्थिति में हैं। आलोचक हावी हैं और उनका कहना है कि इस हास्यास्पद मनोरंजनज्का ये हश्र तो तय था। पैंतरा बदलाआईपीएल की मलाई खाने वालों में एक बड़े हिस्सेदार मीडिया ने भी पैंतरा बदल लिया है। वो ये भूल गया है कि आईपीएल को दागदार करने वालों को बढ़ावा देने वालों में उसकी भूमिका अहम रही है। क्रिकेट प्रेमियों के साथ धोखा हुआ है और हो रहा है। क्या असल अपराधी राजनेता और उद्योगपतियों का गठजोड़ है या फिर पूँजीवाद जिसने परीकथा जैसी आईपीएल की शुरुआत को इस शर्मनाक मुकाम तक पहुँचा दिया है। कॉर्पोरेट गवर्नेंस में हम लोगों को बहुत यकीन है-बावजूद इसके कि दुनियाभर में आए आर्थिक संकट के लिए इसी कॉरपोरेट गर्वेंनेंस के तौर तरीके जिम्मेदार थे।
विपक्ष को धारदार हथियार संयुक्त संसदीय जांच की मांगभारतीय जनता पार्टी सहित विपक्ष को धारदार हथियार मिल गया है। विपक्ष अब इस घोटाले की संयुक्त संसदीय जांचकी मांग पर अड़ गई है। इसके पहले भी आईपीएल विवाद की तलवार बड़ी मुश्किल से शरद पवार और नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल के कंधे से हटी थी। जेडीयू और लेफ्ट ने यह मांग कर सकते में डाल दिया था कि जब तक आईपीएल की जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक उन दोनों केंद्रीय मंत्रियों का भी इस्तीफा लिखा लिया जाए जिनके नाम विवाद में हैं। विपक्ष इस मसले पर संयुक्त संसदीय समिति की भी मांग कर रहा था। संसद में हंगामा हुआ और स्थगन तक पहुंच गया। जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने तो आईपीएल को लुटेरों का अड्डा तक कह डाला था। लोगों ने क्या-क्या नहीं कहा। किसी ने कहा देश में खेला जा रहा सबसे बड़ा जुआ तो किसी ने बड़े लेवल का भ्रष्टाचार तो किसी -किसी ने तो पराकाष्ठा ही कर दी। दलाल और कोठे शब्द न चाहते हुए भी घुस आए मैदान में।
सवालों के घेरे में झूठ :शरद पवार तो आईपीएल विवाद में शशि थरूर और ललित मोदी के बाद खुद सवालों के घेरे में काफी पहले ही आ चुके थे, लेकिन इज्जत बचा ले गए। हैं। वर्ना शरद पवार ही नहीं बल्कि उनकी बेटी सुप्रिया सुले और राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल तक सफाई देते घूम रहे थे। पवार साहब ने तो तब और हद कर दी थी कि पता ही नहीं कि आईपीएल में क्या हो रहा है। उसी समय एक अखबार में ये खबर आई थी कि एक ताकतवर मंत्री का दामाद भी आईपीएल की दो टीमों की हाल ही में लगी बोली में एक औद्योगिक घराने की ओर से शामिल हुआ था। उसे बोली जीतने पर तीस फीसदी की स्वेट इक्विटी देने का वादा किया गया था लेकिन ये घराना बोली नहीं जीत पाया और इस घराने के कागजात उसे वापस कर दिए गए। इस खबर के बाद सुप्रिया सुले ने एक साक्षात्कार में कहा था कि मैं ये साफ कर देना चाहती हूं कि मेरा, मेरे पति या मेरे परिवार का न तो आईपीएल की बोली से और न ही आईपीएल से कोई संबंध है। हमारा क्रिकेट से संबंध सिर्फ क्रिकेट प्रेमी के रूप में है। सबसे दिलचस्प सफाई खुद शरद पवार की ओर से आई। पवार ने कहा कि आईपीएल विवाद से उनका कोई लेना-देना नहीं है। सुप्रिया की कर्णप्रिय बातें : केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की बेटी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की नेता सुप्रिया सुले ने कहा है कि सिटी कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक अनिरूद्ध देशपांडे ने व्यक्तिगत स्तर पर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की पुणे फ्रेंचाइजी के लिए बोली लगाई थी और उनके इस कदम का कंपनी के निदेशक मंडल ने विरोध किया था। उन्होंने कहा कि देशपांडे ने पुणे फ्रेंचाइजी के लिए व्यक्तिगत स्तर पर बोली लगाई थी और उनके इस कदम का कंपनी के निदेशक मंडल ने विरोध जताया था। सुप्रिया ने कहा, सिटी कार्पोरेशन में हमारी सिर्फ 16 फीसदी हिस्सेदारी है और ऐसे में कंपनी के फैसले में हमारा दखल नहीं होता है। बोली में मेरे परिवार की कोई भूमिका नहीं थी। मैंने पहले भी कहा है कि आईपीएल से हमारा कोई संबंध नहीं है। जरा याद करें ईमानदारी : तब आईपीएल फ्रैंचाइजी मामले में घोटाला मामले के केंद्र में रहे आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी से बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार ने सीधे इस्तीफे की मांग कर डाली थी। शरद पवार के घर पर बैठक में बैंगलोर रॉयल चैलेंजर्स के मालिक विजय माल्या सहित बीसीसीआई के भी कुछ अधिकारी उपस्थित थे। शरद पवार ने बीसीसीआई से मोदी को तीन से पांच दिन की मोहलत देने की अपील की। हालांकि बीसीसीआई सूत्रों के हवाले से आई खबर में बताया जा रहा है कि शरद पवार की वह अपील नहीं मानी गई। अब भ्रष्टाचार को नए ढंग से पारिभाषित किया जाएगा या फिर भ्रष्टाचार अपने तेवर से लोगों को रू-ब-रू कराएगा, यह तो समय ही बताएगा।

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