मंगलवार, 30 जुलाई 2013

तेज हुई धार, अब आर-पार

स्थानीय बुटीबोरी तिराहे पर प्रस्तावित पुलिया की लड़ाई एक साथ अब तीन स्तरों पर छेड़ी जाएगी। जनविरोध तो पहले से मुखर है, अब उसमें समाजसेवियों के कूद जाने से धार और तेज हो गई है। अदालत में भी शीघ्र ही याचिका दायर होने वाली है। इस बीच, सूत्रों ने बताया कि जाने-माने समाजसेवी अण्णा हजारे के विश्वस्तों ने भी इस सुनियोजित भ्रष्टाचार की जानकारी ली तथा अण्णा को इससे अवगत कराने की बात कही। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नागपुर शहर के एक जाने-माने समाजसेवी ने दैनिक भास्कर में पुलिया से संबंधित प्रकाशित खबरों पर संज्ञान लेते हुए इसे काफी गंभीर और बेहिसाब लूट का प्रकरण बताया है। भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर हो, क्षम्य नहीं। हम इसका विरोध करते रहेंगे। समाजसेवी ने एनएचएआई को बकायदा लिखित पत्र के माध्यम से पुलिया के प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग की है।
सूत्रों ने बताया कि लगभग तैयारी पूरी हो चुकी है और संभवत: एक-दो दिन में अदालत में याचिका दाखिल कर दी जाएगी। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि प्रस्तावित पुलिया के संबंध में कई याचिकाएं दायर की जा सकती हैं।  दरअसल, बुटीबोरी फ्लाइओवर बनाने की बजाय वहां सिर्फ 2 करोड़ के खर्च से रोड चौड़ा कर सिग्नल की व्यवस्था से काम चल सकता था, लेकिन एक मंत्री की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए निर्माण खर्च व जनता से टोल वसूली करने के लिए सरकार ऐसे निर्णय ले रही है।
 दरअसल, सरकार की अकर्मण्यता से नागपुर की लंबित परियोजनाओं की फेहरिस्त काफी लंबी होती जा रही है। रामझूला का खर्च दो-तीन गुना करवा दिया तथा 2 साल में पूरे होने वाले इस प्रोजेक्ट को 10-11 साल तक झूला दिया। मिहान को भी 10 सालों से झुलाकर रखा है, पर काम कब तक पूरा होगा? आज भी समय निश्चित नहीं है। गोरेवाड़ा प्रोजेक्ट घोषित होने के बाद 10 सालों से झूल रहा है। जेएनएनयूआरएम के सहयोग से पेंच प्रकल्प से शहर के लिए लाई जाने वाली पाइप लाइन का काम भी 10 सालों से लंबित है। कीमत 3 गुना बढ़ गया है। विदर्भ टैक्स पेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जे.पी.शर्मा के अनुसार,  जब सरकार की कार्यक्षमता और अकर्मण्यता की स्थितियां ऐसी हं तो क्यों नई परियोजनाओं की नींव रखने की बातें कर रही है? महाराष्टर सरकार मेट्रो रिजन 3 सालों से घोषित कर चुकी है, पर कार्यों में कोई भी गति नहीं दिख रही है। अब मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की बातें जोरों पर है।  अन्य प्रोजेक्ट के बढ़ते समय और खर्च को देखें तो मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को पूरा होने में 30-35 साल लग जाएंगे एवं खर्च 30 हजार करोड़ तक पहुंच जाएगा। शहर के सभी परियोजनाओं की आज तक जो स्थितियां रही हैं, हम देख रहे हैं, लेकिन एक आश्चर्य की बात भी है कि 56 किलोमीटर आउटर रिंग रोड, जो 300 करोड़ में पुलों के साथ पूरा हो सकता था, को सरकार ने ठेकेदार कंपनियों से 1350 करोड़ में, 4 गुना ज्यादा रेट में ठेका देकर 2 साल में पूरा कर दिया। अब इस रोड पर 2 टोल नाकों से 200 करोड़ प्रतिवर्ष के हिसाब से 28 साल तक टोल वसूली भी एक मंत्री की कंपनी करती रहेगी। इस कंपनी को इतने से भी संतोष नहीं हुआ। बुटीबोरी एमआईडीसी जोन रोड पर अनावश्यक फ्लाइओवर बना कर 1400 करोड़ वसूली के लिए एक और टोल नाका लगाने की तैयारी जोरों पर है।


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