शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

डोंगरगांव टोल नाके पर हलचल तेज

डोंगरगांव टोल नाके पर कुछ दिनों से चहलकदमी तेज है। सधे कदमों की आहट जानकार हालांकि काफी दिनों से महसूस कर रहे थे, मगर बात जुबान पर नहीं आ पा रही थी। बुटीबोरी औद्योगिक परिसर के मुख्य द्वार पर पिछले दिनों हुई दुर्घटना के बाद एक तरह से घोषणा ही हो गई। हिंगणा क्षेत्र के विधायक विजय घोड़मारे ने  बकायदा संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दुर्घटना का केंद्र बने बुटीबोरी टी-प्वाइंट पर शीघ्र ही उड़ानपुल का निर्माण होगा। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 20 करोड़ 62 लाख रुपए मंजूर किए हैं।
नाक में दम करेगा नाका
खबर जंगल में आग की तरह फैली। औद्योगिक नगरी के भीतर तेज खलबली मची। टी-प्वाइंट कुछ देर के लिए ऐतिहासिक स्थल के रूप में तब्दील हो गया, जहां आकर लोग अपने-अपने ढंग से उड़ानपुल का खाका खिंचते रहे। कुछ आशंकित भी थे। उनका कहना था कि उड़ानपुल बना तो नाका भी रहेगा जो नाक में दम कर देगा। वसूली सालो-साल सालती रहेगी। अपने ही तहसील में पैसे देकर आना-जाना होगा। लिहाजा ग्रामीण क्षेत्र से जाने वाली सब्जियां तक महंगी हो जाएंगी।
राज क्या है
किसी का ध्यान इस तरफ बिल्कुल ही नहीं था कि औद्योगिक परिसर के मुख्य गेट के पास दुर्घटना होने का    कारण क्या हो सकता है?  मुहाने पर जमीन के सिकुडऩे और अंदर फैले होने का राज क्या है?  किसी को इससे लेना-देना नहीं था कि उड़ानपुल बनने के बाद की तस्वीर क्या होगी? क्या उसके बाद वाकई भीड़ छंटेगी? क्या सही में दुर्घटनाओं में कमी आएगी?
सीधे राजमार्ग पहुंच जाते हैं
औद्योगिक परिसर और आस-पास के इलाके में निजी वसाहतों की संख्या बढ़ती जा रही है। नागपुर से बुटीबोरी जाते समय दाहिने ओर चप्पे-चप्पे पर विभिन्न वसाहतों के बोर्ड स्वागत करते मिल जाएंगे। राष्ट्रीय राजमार्ग और रिहायशी/ निजी/ व्यावसायिक संकुलों के बीच की दूरी पाट दी गई है। राजमार्ग पर पहुंचने के लिए लोगों को एमआईडीसी के मुख्य गेट तक आने की तकलीफ नहीं उठानी पड़ती। वे सीधे राजमार्ग पहुंच जाते हैं।
मुश्किलें और बढ़ेंगी
जानकारों का मानना है कि उड़ानपुल बनने के बाद मुश्किलें और बढ़ेंगी। राजमार्ग प्राधिकरण की नजर से देखें तो दो नजदीकी ऊपरी पुलों के बीच पैचअप नहीं दिया जा सकता। यानि साफ है कि बुटीबोरी औद्योगिक परिसर के मुख्य गेट से नागपुर की तरफ 2-3 किलोमीटर तक के लोगों को नागपुर आने के लिए मुख्य गेट के पास जाना होगा और फिर गंतव्य की ओर। आंकड़े की नजर से देखें तो जितनी आबादी आज सीधे राजमार्ग पर पहुंचती है, वे सभी मुख्य गेट से होकर ही जाएंगी। स्पष्ट है कि लोगों का घनत्व मुख्य गेट पर अधिक होगा और दुर्घटनाओं का अंदेशा अपेक्षाकृत ज्यादा होगा।
दोहरी तस्वीर क्यों
राष्टï्रीय महामार्ग क्र. 6 पर माथनी में टोल नाका बन रहा है। उसे महादूला स्थानांतरित कराने के प्रयास जारी हैं।  पिछले दिनों मौदा-कामठी विधानसभा क्षेत्र के युवक कांगे्रस  ने टोल नाका हटाओ अभियान अंतर्गत रास्ता रोको आंदोलन किया था। राष्टï्रीय महामार्ग क्र. 6 (भंडारा-नागपुर) का फोर लाइन का काम जारी है।  टोल नाका माथनी पर बनने जा रहा है। इससे मौदा तहसील के लोगों को नागपुर जाने के लिए टोल नाका देना होगा। मांग की जा रही है कि यह टोल नाका पुराने जगह महादुला में बने ताकि तहसील के लोगों को नागपुर जाने के दौरान पैसे नहीं लगे।
डोंगरगांव में टोल वसूली की कहानी
गौरतलब है कि डोंगरगांव में टोल वसूली को अनुचित ठहराते हुए उच्च न्यायालय ने वसूली गई राशि वापस लौटाने  के आदेश दिए थे। डोंगरगांव संघर्ष समिति, बुटीबोरी मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन व नागपुर ट्रकर्स यूनिटी की याचिका पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने डोंगरगांव में नाके को अवैध करार दिया था। साथ ही यह आदेश दिया कि जीरो माइल से 36 किमी दूर बोरखेड़ी में देख-रेख नाका शुरू किया जा सकता है। 1995 में ओरियंटल कंपनी ने डोंगरगांव क्षेत्र में ब्राम्हणी से चिंचभुवन तक 27 किमी फोर लेन के निर्माण का ठेका लिया था। केंद्र सरकार ने 80 करोड़ रुपए में यह ठेका दिया था। उस अनुबंध में साफ निर्देश था कि मार्ग निर्माण के एवज में टोल न वसूला जाए। बाद में 2006 में इस मार्ग का उन्नतिकरण हुआ। उसका ठेका डी. पी. जैन कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया। 19 करोड़ की लागत से यह कार्य संबंधित कंपनी ने दो साल में पूरा किया। बाद में ओरियंटल कंपनी को बायपास रोड बनाने का ठेका मिला। गोंडखैरी से खवासा तक 117 किमी मार्ग बनाया जाना था, लेकिन ओरियंटल ने केवल 58 किमी का कार्य ही पूरा किया। मनसर के बाद वन क्षेत्र में कानूनी अड़चनें आईं। इस बीच ओरियंटल ने डोंगरगांव व कन्हान नाके पर टोल वसूली शुरू कर दी। साथ ही चेक पोस्ट के नाम पर जामठा व एक अन्य पोस्ट पर भी वसूली शुरू की। यह मामला अदालत में पहुंचा। याचिकाकर्ताओं ने तब अदालत को बताया था कि डोंगरगांव क्षेत्र में जो सड़क ओरियंटल ने बनायी ही नहीं, उस पर भी निर्माता होने का दावा करते हुए टोल वसूला जा रहा है।
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