शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

‘थप्पड़’ मार राजनीति का भूचाल...-थाने पहुंचे राणे

राख में खोज रहे आग, पिक्चर अभी बाकी है...

महाराष्ट्र में अचानक राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी के कारण दलीय राजनीतिक विद्वेष से उपजे तनाव ने एक साथ कई लकीरें खींच दी हैं। दोनों ओर ही समर्थकों का रेला है। कानूनी दांव-पेंच के पैरोकारों में भी सरगर्मी बढ़ गई है। इस प्रकरण का हर अध्याय अपने आप में दिलचस्प है, पर जहां से भी शुरू करें अंत शह-मात के खेल पर ही होगा। पूरे मामले को समझने के लिए पार्श्व में ही जाना उचित होगा, लेकिन उसके पहले यह जान लेना जरूरी होगा कि अभी तक सबसे ज्यादा ताजा क्या है? तो जाने लें कि फिलहाल, केंद्रीय कुटीर, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे को नासिक पुलिस ने आठ घंटे हिरासत में रखा और फिर कुछ शर्तों के साथ उन्हें रिहा कर दिया। राणे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए अपशब्द कहे थे। जमानत मिलते ही सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ट्वीटर पर नारायण राणे ने पहला पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा- सत्यमेव जयते। वैसे राणे के वकील संग्राम देसाई ने जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें जमानत देते हुए अदालत ने कुछ शर्तें लगाई हैं। राणे को 31 अगस्त और 13 सितंबर को पुलिस स्टेशन में हाजिर होना होगा और भविष्य में इस तरह के कृत्यों से दूर रहना होगा। अब खबर है कि अब नासिक पुलिस ने राणे को उनके खिलाफ प्राथमिकी के सिलसिले में नोटिस भेजकर दो सितंबर को थाने में पेश होने को कहा है। लिहाजा, सुरक्षा के मद्देजनर मुंबई में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के आवास के बाहर पुलिसकर्मी  तैनात किए गए हैं।  

हद के ऊपर कद

यह तो बुधवार यानी 25 अगस्त को दोपहर 12 बजे तक की बात, लेकिन अब बात वर्षों पीछे की।  नारायण राणे ने 1968 में 16 साल की उम्र में शिवसेना का दामन थामा था। शिवसेना में शामिल होने के बाद नारायण राणे की लोकप्रियता बढ़ती गई। शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे भी नारायण राणे से खासे प्रभावित रहे। इसके चलते उन्होंने राणे को चेंबूर में शिवसेना का शाखा प्रमुख बना दिया। उसके बाद नारायण राणे का कद पार्टी में बढ़ने लगा। 1985 से 1990 तक राणे शिवसेना के कॉर्पोरेटर रहे। 1990 में पहली दफा नारायण राणे शिवसेना से विधायक चुने गए। उनको विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बना दिया गया। बाद में बालासाहब ठाकरे ने खुद नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया था। मुख्यमंत्री रहते हुए भी राणे ने कम समय में ही प्रशासन पर अच्छी पकड़ बना ली थी। महाराष्ट्र में उनका दबदबा बढ़ा, लेकिन उद्धव ठाकरे के उदय के साथ शिवसेना का चेहरा बदलने लगा। ऐसा लगने लगा कि पार्टी दोनों गुटों में बंट गई है। दूसरे ग्रुप में नारायण राणे थे। 1999 के विधानसभा चुनाव के लिए घोषित शिवसेना उम्मीदवारों की सूची में 15 नारायण राणे समर्थकों को बाहर कर दिया। यहीं पर नारायण राणे और उद्धव ठाकरे के बीच पहली लड़ाई हुई। राणे ने 2005 में सनसनीखेज आरोप लगाकर महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी थी कि शिवसेना ने पदों के लिए बाजार बनाया है। कहा जाता है कि यह आरोप शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के खिलाफ नहीं था, बल्कि उद्धव ठाकरे के खिलाफ राणे के गुस्से का विस्फोट था। उसके बाद बालासाहब की बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों के चलते उद्धव ठाकरे को पार्टी में सबने स्वीकार कर लिया और राणे का पार्टी से मोहभंग होना शुरू हो गया। जब उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया तो नारायण राणे के सुर बगावती हो गए। राणे ने उद्धव की योग्यता और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए। इस पर शिवसेना ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।

पाटील ने कहा-तमाचा

इसी क्रम में राजनीतिक गलियारों को भी झांकना जरूरी है। राणे को जमानत मिलने पर महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा, 'केंद्रीय मंत्री को जमानत राज्य सरकार पर दूसरा तमाचा है, जो पुलिस और गुंडों की मदद से चल रही है। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि  हम उद्धव ठाकरे के खिलाफ नारायण राणे के बयान का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन, मैं व्यक्तिगत तौर पर और पार्टी उनके साथ खड़ी है। साथ में यह भी तीर चला दिया कि  शर्जिल उस्मानी ने भारत माता के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया, लेकिन उसके खिलाफ कोई एफआईआर नहीं हुई, लेकिन राज्य सरकार ने नारायण राणे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह कैसा चलन? मुंबई में शिवसेना और बीजेपी कार्यकर्ताओं में हुई हिंसक झड़प पर फडणवीस ने कहा कि यह एक राज्य प्रायोजित हिंसा है। यह पुलिस ‘जीवी’सरकार है। हिन्दी में एक कहावत है- “सईयां भए कोतवाल तो डर काहे का।  

‘यह’ राज्य का विषय

अब बात कानूनी दांव-पेंट की, तो राज्य सरकार का किसी केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार करने का यह वाकई दिलचस्प मामला है। विगत 20 साल में राणे पहले केंद्रीय मंत्री हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। तो अहम सवाल यह कि क्या राज्य सरकार केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार कर कर सकती है। इस बारे में पूर्व भारतीय सांख्यिकी सेवा अधिकारी ओम प्रकाश गुप्ता कहते हैं कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है। देश में रहने वाले सभी नागरिक नियम और कानूनों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत नियमों का उल्लंघन करने पर राज्य एजेंसी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज, गवर्नर, राष्ट्रपति, चुनाव आयुक्त, यूपीएससी के चेयनमैन जैसे संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामला शुरू नहीं किया जा सकता है। मंत्री इस विशेषाधिकार श्रेणी में नहीं आते हैं। इनकी गिरफ्तारी होने पर संवैधानिक प्रावधानों का हनन नहीं होता है।

‘इस’ चिंगारी से लगी आग

रायगढ़ जिले में सोमवार को जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान  नारायण राणे ने कहा था कि यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री (उद्धव) को यह नहीं पता कि आजादी को कितने साल हो गए हैं। वह यहीं नहीं रुके। आगे उन्होंने कहा, ''भाषण के दौरान वह पीछे मुड़ कर इस बारे में पूछते नजर आए थे। अगर मैं वहां होता तो उन्हें एक जोरदार थप्पड़ मारता।'' वैसे राणे के खिलाफ यह पहला आपराधिक मामला नहीं है। इससे पहले भी राणे के खिलाफ जोगेश्वरी के मातोश्री क्लब में जून 2002 में पूर्व विधायक पद्माकर वल्वी को अवैध रुप कैद में रखने के मामले में आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। राणे पर अपहरण सहित एट्रासिटी कानून के तहत आरोप लगाए गए थे। यह घटना तब की है जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विलास राव देशमुख के नेतृत्व में चल रही सरकार के विरोध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। राणे ने राकांपा, शेकाप व कांग्रेस के कई विधायकों को मातोश्री क्लब में रखा था, जिससे तत्कालीन विलासराव देशमुख खतरे में पड़ गई थी।

भूलता नहीं वह ‘चप्पल’ 

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को जिस बात के लिए महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया है, ठीक वैसी ही बात राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए खुलेआम एक रैली में कह चुके हैं।  2018 के मई  में महाराष्ट्र के पालघर में चुनाव प्रचार शुरू था। तब बीजेपी और शिवसेना के रिश्ते में खटास आ चुकी थी। उद्धव ठाकरे ने तब कहा था कि शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते वक्त योगी आदित्यनाथ ने खड़ाऊं पहन रखे थे, उन्होंने ऐसा करके शिवाजी का अपमान किया। आगे उन्होंने कहा, 'यह योगी तो गैस के गुब्बारे की तरह है, जो सिर्फ हवा में उड़ता रहता है। आया और सीधे चप्पल पहनकर महाराज के पास गया। ऐसा लग रहा है उसी चप्पल से उसे मारूं।' हालांकि ठाकरे के उस बयान पर योगी आदित्यनाथ ने भी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था, ‘ मेरे अंदर उनसे कहीं ज्यादा शिष्टाचार है और मैं जानता हूं कि कैसे श्रद्धांजलि दी जाती है। मुझे उनसे कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है।’

लेकिन राणे तो राणे हैं 

मुंबई महानगरपालिका के नगरसेवक से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले नारायण राणे की जिंदगी अपने आप में गजब है।  10 अप्रैल 1952 को जन्मे राणे का परिवार रोजी-रोटी के तलाश में कोंकण से मुंबई आया था।   शुरू से ही राणे की छवि दंबग की रही है। राणे के सियासी करियर ने रफ्तार तब पकड़ी जब छगन भुजबल ने शिवसेना छोड़ दी। साल 1996 में शिवसेना-भाजपा युति सरकार में नारायण राणे राजस्व मंत्री बनाए गए। 1999 में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी को हटा कर 1 फरवरी 1999 को राणे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना दिया। हालांकि राणे इस पद ज्यादा समय तक नहीं रह सके। राणे 258 दिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे, लेकिन शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने जैसे ही अपने बेटे उद्धव ठाकरे को पार्टी का कार्याध्यक्ष बनाया,  राणे बगावती हो गए।  

दिखने लगा ट्रेलर  

मुंबई में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के आवास के पास शिवसेना की युवा शाखा और भाजपा के कार्यकर्ता महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ उनकी टिप्पणी के बाद आपस में भिड़ गए। एक अधिकारी ने बताया कि दोनों ओर से पथराव किया गया, जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। अधिकारी ने कहा कि शिवसेना कार्यकर्ता राणे के आवास के पास सांताक्रूज (पश्चिम) में जुहू तारा रोड पर बैठ गए और दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। घटना के बाद सड़क को दो तरफ से जाम कर दिया गया, जिससे इलाके में यातायात बाधित हो गया। 

सामना का अपना आईना

सामना ने संपादकीय में कहा है कि राणे को कुछ लोग टर्र-टर्र करनेवाले मेंढक की भी उपमा देते हैं। राणे मेंढक हों या छेद पड़ा गुब्बारा, लेकिन राणे कौन? ये उन्होंने स्वयं ही घोषित किया, ‘मैं नॉर्मल इंसान नहीं, ऐसा उन्होंने घोषित किया। फिर वे अॅदबनॉर्मल हैं क्या ये जांचना होगा। मोदी की कैबिनेट में राणे अति सूक्ष्म विभाग के लघु उद्योग मंत्री हैं। प्रधानमंत्री स्वयं को अत्यंत ‘नॉर्मल’ इंसान मानते हैं। वे स्वयं को फकीर या प्रधान सेवक मानते हैं। ये उनकी विनम्रता है, लेकिन राणे कहते हैं, ‘मैं नॉर्मल नहीं। इसलिए कोई भी अपराध किया तो मैं कानून के ऊपर हूं।’ राणे व संस्कार का संबंध कभी भी नहीं था। इसलिए केंद्रीय मंत्री पद का चोला ओढ़कर भी राणे ये किसी छपरी गैंगस्टर जैसा बर्ताव कर रहे हैं। राणे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को ‘मारपीट’ करने की बेलगाम भाषा कही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के संदर्भ में ये भाषा इस्तेमाल करना मतलब 105 हुतात्माओं की भावनाओं को लात मारने जैसा ही है।

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