लाइलाज मर्ज ही सही, कर्ज किसानों की जरूरत है। कहीं से भी मिले, खेती-किसानी को छोड़ें कैसे? कहने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने किसानों की सेहत सुधारने के नाम पर ढेरों योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन साल-दर-साल गवाह हैं कि ये योजनाएं किसानों के दर्द पर मरहम लगाने में बेअसर साबित हुई हैं। इस वर्ष ने और सितम ढ़ाया है। सहकारी बैंकों ने कर्ज देने से हाथ पीछे खींच लिए हैं। राष्ट्रीयकृत बैंकों की राह आसान नहीं। उनकी बैकिंग प्रणाली इतनी सख्त है कि कम पढ़ा लिखा किसान इनसे कर्ज नहीं ले पाता है। बच जाता है एक ही रास्ता-साहूकारों से कर्ज। आधी रात को भी ये कर्ज दे तो देते हैं, मगर इनके चंगुल में फंसने के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। जिले के प्राय: गांवों के किसानों की हालत कमोबेश एक जैसी है। धीरे-धीरे कर्ज के बोझ तले दबे किसान लगातार आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाते हैं और तबाह हो जाती है एक गृहस्थी।
अगर पिछले महाराष्ट्र आर्थिक सर्वेक्षण 2011-12 को देखें तो वर्ष 2011 में साहूकारों की संख्या 9 फीसदी की रफ्तार से बढ़कर 8,326 हो गई जबकि 2010 में राज्य में कुल 7636 निजी साहूकार थे। साल 2011 में सरकार ने 1331 निजी साहूकरों को लाइसेंस जारी किए जबकि 2010 में 1184 साहूकरों को लाइसेंस दिये गए थे। साहूकरों के लाइसेंस के नवीनीकरण में भी सरकार ने तेजी दिखाई है। 2010 में जहां 6452 लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया था। वहीं 2011 में 7291 साहूकरों के लाइसेंस का नवीनीकरण करके सरकार ने उन्हे कर्ज देने की छूट दे दी। महाराष्ट्र आर्थिक सर्वेक्षण 2011-12 के अनुसार 2011 में साहूकरों से कर्ज लेने वालों की संख्या में 22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 2011 में कुल 6,77,165 किसान और छोटे कारोबारियों ने साहूकरों से कर्ज लिया जबकि 2010 में 5,55,018 लोगों ने कर्ज लिया था। बैंकों और सरकारी प्रयास के बावजूद राज्य में निजी साहूकरों की संख्या, इनके कर्जदारों और कर्ज राशि में भी इजाफा हुआ है। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट देखें तो 1995 से लेकर अब तक भारत में 270940 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
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अगर पिछले महाराष्ट्र आर्थिक सर्वेक्षण 2011-12 को देखें तो वर्ष 2011 में साहूकारों की संख्या 9 फीसदी की रफ्तार से बढ़कर 8,326 हो गई जबकि 2010 में राज्य में कुल 7636 निजी साहूकार थे। साल 2011 में सरकार ने 1331 निजी साहूकरों को लाइसेंस जारी किए जबकि 2010 में 1184 साहूकरों को लाइसेंस दिये गए थे। साहूकरों के लाइसेंस के नवीनीकरण में भी सरकार ने तेजी दिखाई है। 2010 में जहां 6452 लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया था। वहीं 2011 में 7291 साहूकरों के लाइसेंस का नवीनीकरण करके सरकार ने उन्हे कर्ज देने की छूट दे दी। महाराष्ट्र आर्थिक सर्वेक्षण 2011-12 के अनुसार 2011 में साहूकरों से कर्ज लेने वालों की संख्या में 22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 2011 में कुल 6,77,165 किसान और छोटे कारोबारियों ने साहूकरों से कर्ज लिया जबकि 2010 में 5,55,018 लोगों ने कर्ज लिया था। बैंकों और सरकारी प्रयास के बावजूद राज्य में निजी साहूकरों की संख्या, इनके कर्जदारों और कर्ज राशि में भी इजाफा हुआ है। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट देखें तो 1995 से लेकर अब तक भारत में 270940 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
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