एक कालेज छात्र को गोरा बनने के चक्कर में तीन हजार रु. से चूना लग गया। क्रीम का स्कीन पर कोई असर नहीं होता देख छात्र ने संबंधित प्रोडक्ट कंपनी को लौटा दिए। हालांकि वादे के मुताबिक कंपनी ने अभी तक छात्र को रकम नहीं लौटाई।
हुआ यूं कि सेंट्रल एवेन्यू गीतांजलि निवासी इमरान हाशमी (काल्पनिक नाम) ने खबरिया चैनल पर एक इश्तेहार देखा, जिसमें तीन हजार रु का क्रीम पैकेज लेने पर काला व्यक्ति भी गोरा बनने के वादे किए गए। इमरान ने दिसंबर के आखिरी सप्ताह इंदौर की इस कंपनी को क्रीम के लिए आर्डर दिया। कंपनी का डिलीवरी आफिस हिंगणा रोड पर है। कंपनी ने सारा पैकेज कुरियर से इमरान को भेजा। इन चीजों के बदले में इमरान ने तीन हजार रु. का भुगतान किया। इमरान शांतिनगर के एक कालेज में अंतिम वर्ष का छात्र है। 15 दिन बाद भी जब क्रीम ने असर नहीं किया तो इमरान ने कंपनी से संपर्क किया। कंपनी ने और कुछ दिन क्रीम रगडऩे की सलाह दी। फिर भी चेहरा गोरा नहीं हुआ। कंपनी को कुरियर से क्रीम व पाउडर वापस भेज दिए गए। अब इमरान पिछले दस दिनों से कंपनी से पैसे वापस करने की गुजारिश कर रहा है। कंपनी द्वारा दिए गए नंबरों पर वह लगातार संपर्क कर रहा है, लेकिन उसे कोई प्रतिसाद नहीं मिल रहा।
कम्पीटिशन के इस दौर में गोरी, खूबसूरत और जवां दिखने की चाहत ने कई किस्म के उत्पादों का बढ़ावा दिया है। बिना ये जाने कि ऐसे उत्पादों में पारे के अलावा स्टेरॉयड, हाइड्रोक्युनॉन और दूसरे खतरनाक रसायन भी मौजूद होते हैं, धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल जारी है। किडनी स्पेशलिस्ट के मुताबिक, गोरेपन की क्रीम में पारा मेन ऑब्जेक्ट के रूप में मौजूद होता है और जब लोग इसे स्किन पर लगाते हैं, तो इसका कुछ हिस्सा शरीर से होते हुए ब्लड में मिल जाता है। चूंकि, पारा और दूसरी जहरीली चीजों को शरीर से निकालने का काम किडनी करती है, लिहाजा पारे को निकालते-निकालते किडनी कमजोर हो जाती है। स्किन स्पेशलिस्ट के मुताबिक इनसे कई परेशानियां हो सकती हैं। मसलन, स्किन पर पपड़ी पडऩा, उसमें जलन होना आधि। खुजली और मुंहासे आम बात हैं। ऐसी उत्पाद दवाओं की श्रेणी में आते हैं, लिहाजा, बाजार में उतारने से पहले इन पर शोध होना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक इन प्रोडक्ट्स पर ध्यान देने की बजाय लोगों को अपने खान-पान पर ध्यान देना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक स्किन की रिंकल्स को फेस लिफ्ट के जरिए छिपाया या मिटाया जा सकता है, लेकिन, जब चेहरे पर झुर्रियों की बहुत बारीक लाइनें हों या मुंहासे के दाग हों, तो उसे केमिकल फेस पीलिंग या लेजर से मिटाया जा सकता है। लेजर और फेस पीलिंग साथ-साथ या अलग-अलग की जा सकती है। अधिकतर साबुन में लगभग एक से तीन फीसदी मर्करी आयोडाइड होता है, जबकि क्रीम में एक से 10 फीसदी तक मर्करी अमोनियम होता है। इसलिए साबुन, क्रीम या दूसरे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से पहले इनके पैकेट पर मर्करी की मात्रा की जांच करनी चाहिए।
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हुआ यूं कि सेंट्रल एवेन्यू गीतांजलि निवासी इमरान हाशमी (काल्पनिक नाम) ने खबरिया चैनल पर एक इश्तेहार देखा, जिसमें तीन हजार रु का क्रीम पैकेज लेने पर काला व्यक्ति भी गोरा बनने के वादे किए गए। इमरान ने दिसंबर के आखिरी सप्ताह इंदौर की इस कंपनी को क्रीम के लिए आर्डर दिया। कंपनी का डिलीवरी आफिस हिंगणा रोड पर है। कंपनी ने सारा पैकेज कुरियर से इमरान को भेजा। इन चीजों के बदले में इमरान ने तीन हजार रु. का भुगतान किया। इमरान शांतिनगर के एक कालेज में अंतिम वर्ष का छात्र है। 15 दिन बाद भी जब क्रीम ने असर नहीं किया तो इमरान ने कंपनी से संपर्क किया। कंपनी ने और कुछ दिन क्रीम रगडऩे की सलाह दी। फिर भी चेहरा गोरा नहीं हुआ। कंपनी को कुरियर से क्रीम व पाउडर वापस भेज दिए गए। अब इमरान पिछले दस दिनों से कंपनी से पैसे वापस करने की गुजारिश कर रहा है। कंपनी द्वारा दिए गए नंबरों पर वह लगातार संपर्क कर रहा है, लेकिन उसे कोई प्रतिसाद नहीं मिल रहा।
कम्पीटिशन के इस दौर में गोरी, खूबसूरत और जवां दिखने की चाहत ने कई किस्म के उत्पादों का बढ़ावा दिया है। बिना ये जाने कि ऐसे उत्पादों में पारे के अलावा स्टेरॉयड, हाइड्रोक्युनॉन और दूसरे खतरनाक रसायन भी मौजूद होते हैं, धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल जारी है। किडनी स्पेशलिस्ट के मुताबिक, गोरेपन की क्रीम में पारा मेन ऑब्जेक्ट के रूप में मौजूद होता है और जब लोग इसे स्किन पर लगाते हैं, तो इसका कुछ हिस्सा शरीर से होते हुए ब्लड में मिल जाता है। चूंकि, पारा और दूसरी जहरीली चीजों को शरीर से निकालने का काम किडनी करती है, लिहाजा पारे को निकालते-निकालते किडनी कमजोर हो जाती है। स्किन स्पेशलिस्ट के मुताबिक इनसे कई परेशानियां हो सकती हैं। मसलन, स्किन पर पपड़ी पडऩा, उसमें जलन होना आधि। खुजली और मुंहासे आम बात हैं। ऐसी उत्पाद दवाओं की श्रेणी में आते हैं, लिहाजा, बाजार में उतारने से पहले इन पर शोध होना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक इन प्रोडक्ट्स पर ध्यान देने की बजाय लोगों को अपने खान-पान पर ध्यान देना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक स्किन की रिंकल्स को फेस लिफ्ट के जरिए छिपाया या मिटाया जा सकता है, लेकिन, जब चेहरे पर झुर्रियों की बहुत बारीक लाइनें हों या मुंहासे के दाग हों, तो उसे केमिकल फेस पीलिंग या लेजर से मिटाया जा सकता है। लेजर और फेस पीलिंग साथ-साथ या अलग-अलग की जा सकती है। अधिकतर साबुन में लगभग एक से तीन फीसदी मर्करी आयोडाइड होता है, जबकि क्रीम में एक से 10 फीसदी तक मर्करी अमोनियम होता है। इसलिए साबुन, क्रीम या दूसरे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से पहले इनके पैकेट पर मर्करी की मात्रा की जांच करनी चाहिए।
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